जैसलमेर

सेवा बनी संबल: जैसलमेर के युवा संवेदना से लिख रहे राहत की कहानी

करणी कृपा गो रक्षा सेवा समिति के युवा न सरकारी कर्मचारी हैं, न किसी योजना के लाभार्थी, लेकिन फिर भी इस तपती धरती पर राहत के लिए हर मोर्चे पर डटे हैं।

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Apr 17, 2025

जब जैसलमेर की रेत पर गर्मी की लपटें नाच रहीं हैं, तब कुछ दिलों में इंसानियत ठंडी फुहार बनकर बरस रही है। करणी कृपा गो रक्षा सेवा समिति के युवा न सरकारी कर्मचारी हैं, न किसी योजना के लाभार्थी, लेकिन फिर भी इस तपती धरती पर राहत के लिए हर मोर्चे पर डटे हैं।

बस एक कॉल… और सेवा शुरू

गाय सडक़ हादसे में घायल हो या सीवरेज में गिर जाए, किसी गड्ढे में फंसी हो या लावारिस हालत में भूख-प्यास से तड़प रही हो — सिर्फ एक फोन कॉल पर समिति के युवा घटनास्थल पर पहुंचते हैं। उनके चेहरों पर चिंता की रेखाएं और बचाव के बाद संतोष की चमक, दोनों ही देखी जा सकती है। रात के अंधेरे में भी गायों की सुरक्षा के लिए रेडियम बेल्ट पहनाने की पहल इनकी दूरदृष्टि को दर्शाती है।

सूखी खेलियों में भर रहे जीवन

भीषण गर्मी में जब पशु खेलियां सूखकर धूल खा रही थीं, तब यही युवा टैंकर लेकर निकल पड़े। जैसलमेर शहर से लेकर अमरसागर, मूलसागर, बड़ाबाग और डाबला गांव तक— जहां जरूरत दिखी, वहां पहुंचे। खेली की सफाई से शुरू होकर जलभराव तक— हर काम अपने हाथों से किया।

पक्षियों के लिए परिंडे, असहायों के लिए सहारा

पेड़ों पर लटकते परिंडे और उनमें भरा पानी, पक्षियों की चहचहाहट में इस सेवा का धन्यवाद सुनाई देता है। वहीं मानसिक रूप से असहाय लोगों को नहलाकर, साफ कपड़े पहनाकर पुनर्वास केंद्रों तक पहुंचाना… युवाओं के दायित्वों की फेहरिस्त में शामिल है।

समिति अध्यक्ष हाकमदान झीबा कहते हैं— हम सिर्फ काम नहीं कर रहे, समाज की अंतरात्मा को जगा रहे हैं। युवाओं के इस समर्पण ने यह साबित कर दिया कि जहां संवेदना जागती है, वहां गर्मी भी हार जाती है। युवाओं की टीम में पंकज आचार्य,यशवंत, प्रवीण, लक्ष्य पंसारी, विष्णु, योगेश गर्ग, राधेश्याम, गोरधन लोहार, मनीष चंदेल आदि शामिल है।

महिलाएं भी बन रही संवेदना की साझीदार

शहर की जागरूक महिलाओं ने भी इस सेवा अभियान में भागीदारी निभा रही है। घरों के बाहर मटकी रखकर, ऊपर छाया का इंतजाम किया जा रहा है, ताकि प्यासे राहगीरों को राहत मिले।

Published on:
17 Apr 2025 10:36 pm
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