जैसलमेर

सरहद पर बेटियों का अभेद्य पहरा, दुश्मन की हर चाल नाकाम

भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा का जिम्मा अब केवल पुरुष जवानों तक सीमित नहीं रहा। सरहद पर तैनात 400 महिला सुरक्षा प्रहरियों ने यह साबित कर दिया है कि वे भी हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।

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Mar 07, 2025

भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा का जिम्मा अब केवल पुरुष जवानों तक सीमित नहीं रहा। सरहद पर तैनात 400 महिला सुरक्षा प्रहरियों ने यह साबित कर दिया है कि वे भी हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। आधुनिक हथियारों से लैस ये वीरांगनाएं दुश्मन की हर हरकत पर बाज जैसी नजर रख रही हैं। रेगिस्तानी इलाकों में सर्द रातें, भीषण गर्मी और तेज धूल भरी आंधियां भी इनके हौसले को नहीं डिगा पा रही हैं।

सीमा पर बढ़ती महिला प्रहरियों की ताकत

बीएसएफ में वर्ष 2008 में पहली बार महिला बटालियन की शुरुआत हुई थी। शुरुआत में इनकी जिम्मेदारी सीमावर्ती गांवों में महिलाओं की तलाशी तक सीमित थी, लेकिन अब वे हर ऑपरेशन का हिस्सा बन चुकी हैं। राजस्थान की पाकिस्तान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर इनकी तैनाती तेजी से बढ़ी है। नाइट पेट्रोलिंग, ऑपरेशनल ड्यूटी और निगरानी में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।

रेगिस्तान की दुर्गम परिस्थितियों में भी डटीं वीरांगनाएं

बीसएसएफ सूत्रों के अनुसार जैसलमेर और आसपास के बॉर्डर पोस्ट पर तैनात महिला सैनिक 12-12 घंटे तक ड्यूटी कर रही हैं। 50 डिग्री तक की झुलसाने वाली गर्मी, लू के थपेड़े, सर्दी में माइनस 2 डिग्री तापमान और रेतीले तूफान भी इनका हौसला नहीं डिगा सके हैं। ये ऊंटों पर बैठकर गश्त कर रही हैं और सीमावर्ती इलाकों में संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।

बॉर्डर पर महिलाओं के लिए विशेष सुविधाएं

बीएसएफ ने महिला जवानों के लिए विशेष बैरकों का निर्माण किया है, जहां आठ महिला सैनिकों के रहने की व्यवस्था की गई है। बैरकों में विश्राम स्थल, मनोरंजन कक्ष, प्राइवेसी रूम और लॉन की सुविधा है। महिला सैनिकों का कहना है कि परिवार और समाज का पूरा समर्थन मिलने से वे पूरी निष्ठा के साथ सरहद की सुरक्षा कर रही हैं।

Published on:
07 Mar 2025 11:47 pm
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