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OMG! ये कैसा काम है, इस्तीफा देने के लिए भी हो रही है Hiring, यहां देखें जॉब डिटेल्स 

Resignation Experts: जापान में इस्‍तीफा देने के ल‍िए भी लोग ‘रेज‍िग्‍नेशन एजेंट’ रख रहे हैं या फिर एजेंसियां हायर कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग बॉस के सामने नहीं जाना चाहते हैं।  

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Resignation Experts: कई बार कंपनी का वर्क कल्चर या फिर बॉस के न पसंद आने के कारण लोग इस्तीफा दे देते हैं। आजकल तो इस्तीफा देना आम बात हो गई है। इस्तीफा देने के लोग ई-मेल कर देते हैं। वहीं कई बार बॉस से मिलकर रेजिग्नेशन देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि लोग रेजिग्नेशन देने के लिए भी किसी और को हायर करते हैं? जी हां, जापान में इस्‍तीफा देने के ल‍िए भी लोग ‘रेज‍िग्‍नेशन एजेंट’ रख रहे हैं या फिर एजेंसियां हायर कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग बॉस के सामने नहीं जाना चाहते हैं।  

एग्जिट नाम की कंपनी ने किया था शुरू 

जापान में ये पहला मामला नहीं है। सबसे पहले 2017 में इसकी शुरुआत हुई थी। एग्‍ज‍िट नाम के एक स्‍टार्टअप ने इसकी शुरुआत की थी। यह कर्मचारी के बॉस को कॉल करता है और उनके ल‍िए इस्‍तीफा ल‍िखकर भेजता है। यहां काम करने वाले सभी कर्मचार‍ी को ‘रेज‍िग्‍नेशन एजेंट’ और ‘रेज‍िग्‍नेशन एक्‍सपर्ट’ के नाम से पुकारा जाता है। 

एग्‍ज‍िट के सीईओ तोशीयुकी नीनो ने बताया क‍ि जब वे नौकरी कर रहे थे, तब उन्‍हें भी ऐसी स्‍थ‍ित‍ि से गुजरना पड़ा था। उन्‍होंने कहा कि बॉस ऐसा था क‍ि उसका चेहरा मैं देखना नहीं चाहता था। तब मुझे क‍िसी ऐसे शख्‍स की जरूरत थी, जो जाकर मेरे बॉस को इस्‍तीफा दे। वहीं से उन्हें ये आईडिया आया।

कैसे लोग ‘रेज‍िग्‍नेशन एक्‍सपर्ट’ को करते हैं हायर? (Resignation Experts)

ऐसे कर्मचारी जो अपने बॉस से डरते हैं या क‍िसी तरह की ग‍िल्‍ट फील कर रहे होते हैं, वो रेज‍िग्‍नेशन एक्‍सपर्ट (Resignation Experts) को हायर करते हैं। एग्जिट कंपनी के CEO बताते हैं कि हर साल उन्हें 10 हजार से ज्‍यादा क्‍लाइंट मिलते हैं। कोरोना के बाद तो ऐसी एजेंसियों की डिमांड बहुत ज्‍यादा बढ़ी है।

एक रेजिग्नेशन के लिए 12 हजार लेती है कंपनी

एग्‍ज‍िट की कामयाबी देखकर मोमुरी जैसी एजेंसियां भी मार्केट में आ गई हैं। यह एजेंसी इस्‍तीफा (Resignation Experts) देने के ल‍िए भारतीय करेंसी में 12,742 रुपये के करीब लेती है। साउथ चाइना मार्निंग पोस्‍ट की रिपोर्ट के अनुसार, ज्‍यादातर एजेंसियां 15000 रुपये से लेकर 28000 रुपये तक लेती है। इसमें कोई कानूनी विवाद हो तो उसे सुलझाने का भी खर्च शामिल होता है।

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