रेलकर्मियों व उनके परिजनों को उपचार के लिए यूनिक आईडी वाले डिजिटल कार्ड जारी किए गए हैं। इस कार्ड में न केवल पूरे परिवार की मेडिकल हिस्ट्री का लेखा-जोखा होगा, बल्कि चिकित्सक पर्चे से लेकर दवा पर्चे के लिए भी कागज का उपयोग नहीं करना पड़ेगा।
Railway News: कोटा का रेलवे चिकित्सालय पूरी तरह डिजिटल व पेपर लेस हो गया है। रेलकर्मियों व उनके परिजनों को उपचार के लिए यूनिक आईडी वाले डिजिटल कार्ड जारी किए गए हैं। इस कार्ड में न केवल पूरे परिवार की मेडिकल हिस्ट्री का लेखा-जोखा होगा, बल्कि चिकित्सक पर्चे से लेकर दवा पर्चे के लिए भी कागज का उपयोग नहीं करना पड़ेगा। यही नहीं रेलवे कर्मचारी व परिजन इस यूनिक आईडी से पूरे देश में किसी भी रेलवे चिकित्सालय में उपचार करवा सकेंगे।
यूनिक आईडी वाले डिजिटल कार्ड में रेलवे कर्मचारी व उनके परिजनों की पूरी मेडिकल हिस्ट्री का इन्द्राज है। ऐसे में कार्ड को कम्प्यूटर से कनेक्ट कर एक क्लिक करते ही रोगी की पूरी मेडिकल हिस्ट्री चिकित्सक के सामने खुल जाएगी।
एंट्री से एक्जिट तक पेपर लेस
रेलवे चिकित्सालय में कार्ड दिखाने पर जरूरत के अनुसार कम्प्यूटराइज्ड तरीके से चिकित्सक के पास उनका अपाॅइंटमेंट मिल जाएगा। इसका नंबर कर्मचारी को बता दिया जाता है। रेल कर्मचारियों को चिकित्सक के कक्ष के पास एलईडी स्क्रीन पर अपाॅइंटमेंट नंबर नजर आता रहता है। चिकित्सक को दिखाने पर कार्ड से पूरी मेडिकल हिस्ट्री उसके सामने खुल जाएगी। जहां से वह ऑनलाइन ही पर्चा बनाकर मेडिकल काउंटर पर शिफ्ट कर देगा और रोगी को काउंटर पर जाकर कार्ड दिखाने पर उसकी दवा मिल जाएगी। इस प्रकार एंट्री से लेकर एक्जिट तक चिकित्सालय को पूरी तरह पेपर लेस और डिजिटल बना दिया गया है।
केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट के तहत कोटा का रेलवे चिकित्सालय पूरी तरह डिजिटल व पेपर लेस हो चुका है। इससे रेलकर्मियों व उनके परिजनों का पूरा रेकॉर्ड ऑनलाइन हो गया है। मरीज को एंट्री से एक्जिट तक किसी भी प्रकार के कागज का उपयोग नहीं करना पड़ेगा। वह देश में रेलवे के सभी चिकित्सालय में अपने कार्ड से उपचार करवा सकेगा। उसकी मेडिकल हिस्ट्री कार्ड से चिकित्सक के समक्ष खुल जाएगी।