Lucknow Air Turns Toxic: सर्दी और बढ़ते प्रदूषण का दोहरा असर राजधानी के लोगों पर तेजी से दिख रहा है। अस्पतालों में सांस फूलने, खांसी, अस्थमा अटैक, हाई BP और हार्ट संबंधी मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है। विशेषज्ञ इसे तापमान में गिरावट और बढ़ते प्रदूषण से पैदा हुआ “सी-सॉ इफेक्ट” बता रहे हैं, जो बुजुर्गों और दिल के मरीजों के लिए खतरनाक है।
Cold Wave + Pollution Trigger Health Crisis: सर्द हवाओं और बढ़ते प्रदूषण के दोहरे हमले ने राजधानी निवासियों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालना शुरू कर दिया है। पिछले एक सप्ताह में अस्पतालों में सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न, तेज खांसी, अस्थमा अटैक और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे “सी-सॉ इफेक्ट” बता रहे हैं,जहां तापमान में गिरावट और प्रदूषण में बढ़ोतरी मिलकर बुजुर्गों, हृदय रोगियों और बच्चों के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर रही है।
सांस फूलना, खांसी और घरघराहट के मरीज बढ़े-एक दिन में 8–10 केस KGMU में दर्ज
गौतमपल्ली निवासी 70 वर्षीय महेंद्र लाल को जब अचानक तेज खांसी, सीने में घरघराहट और सांस फूलने की शिकायत हुई, तो परिवार वाले उन्हें फौरन KGMU लेकर पहुंचे। जांच में सामने आया कि ठंडी हवा और बढ़े हुए वायु प्रदूषण ने उनके श्वसन तंत्र में सूजन पैदा कर दी, जिससे ऑक्सीजन स्तर गिर गया।
KGMU के HOD, रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन, प्रो. वेद प्रकाश ने बताया कि सर्द हवाएं वायुमार्ग को संकुचित करती हैं और प्रदूषित हवा उसमें सूजन बढ़ाती है। ऐसे में मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती है, खासकर अस्थमा, सीओपीडी और फेफड़ों के पुराने मरीजों को। उनके अनुसार बीते 5 दिनों में हर दिन 8–10 मरीज इसी तरह की समस्या लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।
तापमान गिरने के साथ रक्त वाहिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। यह ब्लड प्रेशर बढ़ाता है और दिल पर अतिरिक्त दबाव डालता है। इसका असर इंदिरा नगर निवासी 65 वर्षीय राजेश श्रीवास्तव पर दिखा। सुबह की सैर के दौरान अचानक सीने में जकड़न और चक्कर आने पर परिवारजन उन्हें RMLIMS ले गए।
सुबह-शाम बाहर निकलना बंद करें, दवा की मात्रा बढ़ाई गई है और ठंड से बचाव जरूरी है। ऐसा ही मामला अलीगंज की 58 वर्षीय पुष्पा सोनी का आया, जिन्हें ठंडी हवा लगने पर अचानक BP बढ़ गया और सीने में दर्द शुरू हो गया। KGMU कार्डियोलॉजी विभाग के प्रो. प्रवेश विश्वकर्मा बताते हैं कि सर्दी में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 30–40% तक बढ़ जाता है। यह मौसम बुजुर्गों और शुगर व BP मरीजों के लिए सबसे क्रिटिकल है।
कम पसीना, ज्यादा नमक और कम पानी-सर्दी में किडनी और दिल पर अतिरिक्त बोझ
सर्दी में लोग पानी कम पीते हैं और पसीना भी कम आता है। इससे शरीर में सोडियम बढ़ जाता है, जो BP और हृदय रोगियों के लिए बेहद हानिकारक है। प्रो. विश्वकर्मा सलाह देते हैं कि रोजाना 2.5 से 4 लीटर पानी पिएं। नमक का सेवन कम करें। अचानक ठंडी हवा में आने से बचें
राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार दूसरे दिन 203 (Poor Category) दर्ज किया गया। पिछले 14 दिनों में हवा लगातार खराब होती गई है। शाम के समय PM10 और PM2.5 लेवल क्रमशः तीन और पाँच गुना अधिक पाया गया। मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक मोहम्मद दानिश ने बताया कि कम तापमान और कम हवा की गति प्रदूषण को नीचे रोक देती है। स्मॉग की चादर छाने से हवा में जहरीले कण और घुल जाते हैं, जिससे श्वसन रोग बढ़ते हैं।
फेफड़ों के दौरे (ब्रोंकोस्पाज्म) के मामलों में अचानक बढ़ोतरी पर मिलिट्री इंटेलिजेंस और जिला प्रशासन ने 6 संवेदनशील इलाकों में तकनीकी निगरानी बढ़ाई है। इन इलाकों में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मेडिकल कैंप लगाने की तैयारी भी शुरू कर दी है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार नवंबर-दिसंबर का संक्रमण काल सर्दी और स्मॉग का सबसे खतरनाक समय होता है। अगले 15–20 दिनों तक दिल्ली–एनसीआर की तरह लखनऊ में भी हवा खराब रहने की संभावना है।