Mentha Farming Boosts Farmers' Income: उत्तर प्रदेश में मेंथा की खेती किसानों के लिए आय का एक प्रमुख साधन बनती जा रही है। गेहूं, आलू और सरसों की फसल काटने के बाद किसान मेंथा की रोपाई कर रहे हैं। महज 3-4 महीनों में तैयार होने वाली इस फसल से उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है, जिससे मेंथा की खेती का रुझान तेजी से बढ़ रहा है।
Good News For Farmers: उत्तर प्रदेश के इटौंजा क्षेत्र सहित कई गांवों में मेंथा की खेती किसानों के लिए एक बड़े आय स्रोत के रूप में उभर रही है। किसान गेहूं, सरसों और आलू की फसल काटने के बाद मेंथा की खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी में जबरदस्त इजाफा हो रहा है। मौजूदा समय में मेंथा के तेल की कीमत 1000 से 1500 रुपये प्रति लीटर तक है, जिससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है।
मेंथा की रोपाई मुख्य रूप से मार्च में शुरू होती है और जून तक तेल निकालने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। किसान इसे अन्य फसलों के बाद की खेती के रूप में अपना रहे हैं क्योंकि इसमें कम लागत और अधिक मुनाफा मिलता है। एक बीघे में 22,500 रुपये की लागत आती है और 6 से 8 लीटर मेंथा ऑयल प्राप्त होता है, जिससे किसानों को प्रति बीघा लगभग 23,000 रुपये का शुद्ध लाभ हो रहा है।
इटौंजा क्षेत्र के किसान राम सागर, जयविंद, महेश, रामप्रकाश और अन्य किसानों ने बताया कि मेंथा की खेती उनके लिए एक वरदान साबित हो रही है। बढ़ती मांग और उच्च कीमतों के कारण अब ज्यादा से ज्यादा किसान मेंथा की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
मेंथा की खेती उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर बन रही है। सरकार और कृषि विशेषज्ञ भी किसानों को मेंथा की उन्नत खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। बढ़ती कीमतों और मांग को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि मेंथा की खेती किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में अहम भूमिका निभा सकती है।