लखनऊ

Good News: कभी कमाते थे 20 से 25 हजार, अब दीपोत्सव में ही बन जाते हैं लखपति, जानें कैसे

Good News: दीपोत्सव ने बदली अयोध्या के कुम्हारों की किस्मत, 25 लाख दीयों के ऑर्डर से रोशन हुए घर। कुम्हारों की बढ़ी आमदनी। आइये जानते हैं क्या बोले कुम्हार ...

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Oct 05, 2024
yogi government celebration in ayodhya

Good News: रामनगरी अयोध्या का दीपोत्सव न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है, बल्कि इसने स्थानीय कुम्हारों के जीवन को भी एक नई दिशा दी है। कभी रोज़गार की तलाश में भटकते कुम्हार परिवार अब इस त्योहार के दौरान लाखों रुपये कमा रहे हैं। दीपोत्सव की शुरुआत के बाद कुम्हार परिवारों के युवा अब बाहरी काम छोड़कर इलेक्ट्रिक चाक पर दीये बनाने का काम कर रहे हैं। अयोध्या के जयसिंहपुर गांव में इस भव्य आयोजन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, और कुम्हार परिवार पूरी तरह जुट गए हैं।

योगी सरकार के प्रयासों से बदल रही है कुम्हारों की ज़िंदगी

2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद अयोध्या को सजाने और संवारने का बीड़ा उठाया गया। उसी वर्ष भगवान राम के वनवास से लौटने की खुशी में दीपोत्सव की परंपरा को फिर से भव्य रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। तब से हर साल राम की पैड़ी पर लाखों दीये जलाकर इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दीपोत्सव में इस्तेमाल होने वाले दीयों की खरीदारी के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय कुम्हारों को प्राथमिकता दी।

2023 में अयोध्या के ऐतिहासिक दीपोत्सव का आठवां संस्करण होने जा रहा है, और इस बार 25 लाख दीयों के जलाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। रामलला अब भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं, जिससे यह दीपोत्सव और भी खास होने जा रहा है। इस विशेष अवसर के लिए कुम्हारों ने बड़े पैमाने पर दीये बनाने का काम शुरू कर दिया है।

दीपोत्सव की तैयारी में जुटे कुम्हार परिवार

जयसिंहपुर गांव के कुम्हार इस समय दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। यहां के करीब 40 परिवार दीपोत्सव के लिए दीये बना रहे हैं। इन परिवारों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ की पहल ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया है।

लक्ष्मी प्रजापति कहती हैं:
"दीपोत्सव ने हमारे घर को रोशन कर दिया है। हम हर साल 30 से 35 हजार दीये बनाकर बेचते हैं। पूरा परिवार इस काम में जुट जाता है, और इससे हमारी आमदनी में भारी बढ़ोतरी हुई है।"

राकेश प्रजापति कहते हैं:
"हमें अभी ठेका नहीं मिला है, लेकिन पिछले वर्षों में मिले ऑर्डरों को देखकर हमने दीये बनाने शुरू कर दिए हैं। सीएम के ऐलान के बाद हमारी आय में काफी इज़ाफा हुआ है।"

आशा प्रजापति का कहना है:
"पहले लोग अपने घरों को चाइनीज झालरों से सजाते थे, लेकिन अब दीपोत्सव की वजह से दीयों को प्राथमिकता दी जा रही है। हम हर साल 20 से 25 हजार दीये बनाते हैं।"

राजेश प्रजापति कहते हैं:
"दीपोत्सव ने हमें एक पहचान दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से हमारी मेहनत को अब लोग पहचानने लगे हैं। अभी तक हमने 2 लाख से ज्यादा दीये तैयार कर लिए हैं।"

दीपोत्सव का काउंटडाउन शुरू, प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर

आठवें दीपोत्सव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ अवध विश्वविद्यालय के छात्र भी इस भव्य आयोजन की तैयारी में जुट गए हैं। अयोध्या एक बार फिर से इतिहास रचने के लिए तैयार है, और इस बार 25 लाख दीयों से शहर को रोशन किया जाएगा।

दीपोत्सव में अब तक जलाए गए दीयों की संख्या:

2017 - 1.71 लाख
2018 - 3.01 लाख
2019 - 4.04 लाख
2020 - 6.06 लाख
2021 - 9.41 लाख
2022 - 15.76 लाख
2023 - 22.23 लाख (अनुमानित 25 लाख)

दीपोत्सव ने कुम्हारों को दी नई पहचान

दीपोत्सव के साथ अयोध्या के कुम्हारों को न सिर्फ आर्थिक फायदा हुआ है, बल्कि उन्हें एक नई पहचान भी मिली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मिट्टी के दीयों को प्राथमिकता देने की अपील के बाद अब लोग चाइनीज झालरों के बजाय दीयों से अपने घरों को सजाना पसंद कर रहे हैं। इस आयोजन ने कुम्हारों की आय में बढ़ोतरी की है, और वे अब अपने काम पर गर्व महसूस कर रहे हैं।

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