लखनऊ

LDA Home To Shop: लखनऊ में अब घर में दुकान बनाना आसान, नई भवन उपविधि से मिलेगी छूट

LDA New Construction Rules:  लखनऊ की नियोजित कालोनियों में अब मकानों में दुकानों का निर्माण आसान होगा। आवास एवं विकास परिषद की कालोनियों में नई भवन निर्माण उपविधि लागू होने जा रही है, जिससे 100 वर्ग मीटर तक के प्लॉट पर नक्शा पास कराए बिना निर्माण संभव होगा। इससे नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी।

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Jul 19, 2025
UP Housing फोटो सोर्स : Patrika

LDA Home To Shop Update: प्रदेश सरकार द्वारा मंजूर की गई नई भवन निर्माण उपविधि (Building By-Laws) का लाभ अब आवास एवं विकास परिषद (Avas Vikas Parishad) की कालोनियों को भी मिलेगा। इससे राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के विभिन्न शहरों में स्थित कालोनियों में आवासीय भूखंडों पर सीमित दायरे में व्यावसायिक निर्माण की अनुमति प्राप्त हो सकेगी। साथ ही छोटे भूखंडों पर घर बनाने वालों को नक्शा पास कराने की बाध्यता से भी मुक्ति मिलेगी।

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22 जुलाई को परिषद की अहम बैठक

इस उपविधि को लागू करने के लिए 22 जुलाई को आवास विकास बोर्ड की एक महत्वपूर्ण बैठक प्रस्तावित है। बैठक में परिषद की योजनाओं में नई भवन निर्माण उपविधि को लागू करने का प्रस्ताव रखा जाएगा। इसके बाद परिषद की स्वीकृति से यह उपविधि प्रभावी हो जाएगी और परिषद की कालोनियों में मकान मालिकों को नई सुविधाएं मिल सकेंगी।

नक्शा पास कराने से राहत

नई उपविधि के अनुसार 100 वर्ग मीटर तक के प्लॉट पर मकान बनाने के लिए अब नक्शा पास कराने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, विशेषकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के उन परिवारों को जो छोटे प्लॉट पर मकान बनाना चाहते हैं। इसके अलावा 30 वर्ग मीटर के प्लॉट पर व्यावसायिक निर्माण की अनुमति दी गई है, जिसके लिए एलडीए (LDA) से केवल एक स्पष्टीकरण शुल्क (processing fee) देकर पंजीकरण कराना होगा।

24 मीटर चौड़ी सड़कों पर व्यावसायिक निर्माण की अनुमति

नए नियमों के तहत 24 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़कों पर स्थित आवासीय भूखंडों पर सीमित सीमा तक व्यावसायिक निर्माण की अनुमति दी जाएगी। यह पहले संभव नहीं था। इस बदलाव से उन लोगों को भी राहत मिलेगी, जिन्होंने नियमावली लागू होने से पहले ही ऐसे भूखंडों पर व्यावसायिक निर्माण कर लिया था। अब वे शमन शुल्क देकर अपना मानचित्र पास करा सकते हैं।

कोई ऊंचाई सीमा नहीं, एफएआर में वृद्धि

नई भवन उपविधियों में भवन की ऊंचाई पर कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं है, हालांकि फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) में वृद्धि की गई है, जिससे अधिक क्षेत्रफल में निर्माण संभव हो सकेगा। इससे बहुमंजिला भवनों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, विशेषकर अपार्टमेंट योजनाओं में।

बड़े भूखंडों पर अपार्टमेंट निर्माण की मंजूरी

हैदराबाद, गुजरात और मुंबई की तर्ज पर अब 1500 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल वाले भूखंडों पर अपार्टमेंट बनाए जा सकेंगे। अपार्टमेंट भवनों के ग्राउंड फ्लोर पर व्यावसायिक गतिविधियों की भी अनुमति होगी। इससे शहरी विकास को नई गति मिलेगी और व्यवस्थित आवासीय तथा व्यावसायिक ढांचा तैयार किया जा सकेगा।

नियोजित कालोनियों में नया नियम

  • नियोजित कालोनियों में 500 वर्ग मीटर तक के भूखंड पर आवासीय भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराना होगा।
  • 200 वर्ग मीटर तक के भूखंड पर व्यावसायिक भवन निर्माण के लिए भी नक्शा पास कराना अनिवार्य होगा।

घर से कार्यालय चलाने की अनुमति

अब नर्सरी, क्रेच, होम स्टे, आर्किटेक्ट, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, चिकित्सक और अधिवक्ता अपने घर से ही अपना कार्यालय या सेवा संचालन कर सकेंगे। इससे स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा और विशेष रूप से महिलाएं व प्रोफेशनल्स अपने घर से ही काम कर सकेंगे।

एनओसी की समय सीमा तय

अब नक्शा पास कराने के लिए संबंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करने की समय सीमा तय कर दी गई है। यदि निर्धारित समयसीमा में एनओसी नहीं दी जाती है, तो नक्शा पास मान लिया जाएगा। इससे निर्माण कार्यों में अनावश्यक देरी से राहत मिलेगी।

सार्वजनिक उपयोग के भवनों को भी मिली छूट

नौ मीटर चौड़ी सड़कों पर अब बिना बेड वाले छोटे अस्पताल (क्लीनिक), प्राथमिक विद्यालय आदि खोले जा सकेंगे। वहीं, 18 मीटर चौड़ी सड़कों पर शॉपिंग मॉल या बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के निर्माण की अनुमति दी जाएगी।

नई उपविधि से बढ़ेगा शहरी विकास

इन उपविधियों के लागू होने से राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के अन्य शहरों में शहरीकरण को गति मिलेगी। साथ ही लोगों को अपने छोटे भूखंडों का अधिकतम लाभ उठाने का अवसर मिलेगा। व्यावसायिक गतिविधियों को अनुमति मिलने से रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। इसके अलावा निर्माण कार्यों की प्रक्रियाएं आसान और पारदर्शी होंगी, जिससे निवेशकों और आम नागरिकों दोनों को लाभ पहुंचेगा। इस नई व्यवस्था से लोगों को न केवल सुविधा मिलेगी, बल्कि नियोजित विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। परिषद की कालोनियों में वर्षों से लंबित समस्याओं का समाधान भी अब संभव हो सकेगा।

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