UP Free Electricity Scheme: उत्तर प्रदेश में मुफ्त बिजली योजना किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। पावर कॉर्पोरेशन द्वारा काल्पनिक बकाया दिखाने और बिल संशोधन में देरी से लाखों किसान योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ओवर बिलिंग और अधिकारियों की अनदेखी ने किसानों की समस्याओं को और गहरा दिया है।
UP Free Electricity Scheme: प्रदेश सरकार की मुफ्त बिजली योजना किसानों के लिए वरदान बनने की बजाय बाधा बन गई है। राज्य में 15 लाख से अधिक किसानों के पंजीकरण की प्रक्रिया में गलत बकाया और ओवर बिलिंग ने योजना की सफलता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। साप्ताहिक वेबिनार में किसानों ने अपनी समस्याएं रखते हुए बताया कि उन्हें काल्पनिक बकाया के नाम पर परेशान किया जा रहा है।
किसानों का कहना है कि गलत बकाया दिखाने की वजह से वे योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। पावर कॉर्पोरेशन की नीति के अनुसार, बकाया होने पर पंजीकरण संभव नहीं। उदाहरण के लिए, किसान धरमूर सिंह पर ₹67,903 का काल्पनिक बकाया है, जिससे उनका पंजीकरण नहीं हो पा रहा।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने वेबिनार के दौरान बताया कि पावर कॉर्पोरेशन के शक्ति भवन में किसानों के बिल संशोधन से जुड़ी पत्रावली 6 महीने से लंबित है। किसानों ने बताया कि जब तक गलत बकाया का संशोधन नहीं होता, तब तक फर्जी बकाया उनके खातों में दिखता रहेगा।
ओवर बिलिंग: किसानों पर वास्तविक खपत से अधिक बिल थोपे जा रहे।
ओवर एस्टीमेट: नलकूपों और उपकरणों की लागत बढ़ाकर दिखाई जा रही।
बकाया दिखाने का खेल: बिल संशोधन प्रक्रिया धीमी होने से योजना का लाभ नहीं मिल रहा।
अधिकारियों की अनदेखी: किसानों की समस्याओं पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं।
किसान फहद अहमद, मोहम्मद शकील, ब्रह्म दत्त शर्मा, विनय चौबे और अनुराग माही ने कहा कि ओवर बिलिंग और ओवर एस्टीमेट की समस्या हर गांव और किसान के लिए आम हो गई है। उन्होंने बताया कि पावर कॉर्पोरेशन में शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती।
काल्पनिक बकाया: लाखों किसानों पर गलत बकाया दिखाकर योजना से वंचित किया जा रहा।
पंजीकरण में बाधा: गलत बिल संशोधन न होने से किसान फ्री बिजली योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे।
सरकारी उदासीनता: 6 महीने से शिकायतों पर कोई निर्णय नहीं।
ओवर बिलिंग और ओवर एस्टीमेट: किसानों के लिए बड़ी समस्या बनी।
तत्काल बिल संशोधन: 31 मार्च 2023 तक के सभी गलत बिलों का संशोधन किया जाए।
जांच समिति का गठन: काल्पनिक बकाया और ओवर एस्टीमेट की शिकायतों की जांच हो।
डिजिटल पंजीकरण प्रक्रिया: किसानों को ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा दी जाए।
नियमों का पालन: पावर कॉर्पोरेशन को पारदर्शी नीति अपनानी चाहिए।
किसानों का कहना है कि यदि विभाग की लापरवाही के कारण उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, तो यह सरकार की सबसे बड़ी विफलता है। यह समस्या न केवल किसानों की बल्कि राज्य के कृषि विकास की गति को भी प्रभावित कर रही है।