CM Yogi Response: उत्तर प्रदेश में आई भीषण बाढ़ से जहां 21 जिले प्रभावित हुए हैं, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चल रहा है। अब तक 1.72 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की टीमें सक्रिय हैं।
Yogi Government Flood Relief 2025: उत्तर प्रदेश में हालिया बाढ़ ने प्रदेश के 21 जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों और प्रदेश सरकार की सक्रियता से लाखों प्रभावितों को समय रहते राहत दी जा चुकी है। आपदा प्रबंधन की चुस्त व्यवस्था के चलते 1,72,255 से अधिक लोगों को राहत पहुंचाई गई, जबकि 38,615 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। प्रभावित क्षेत्रों में अभी भी युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य जारी है।
मुख्यमंत्री योगी के स्पष्ट निर्देश हैं कि "हर हाल में हर एक नागरिक की सुरक्षा सर्वोपरि है।" इसी क्रम में एनडीआरएफ की 14 टीमें, एसडीआरएफ की 15 टीमें और पीएसी की 48 टीमें लगातार प्रभावित इलाकों में तैनात हैं। ये टीमें ना सिर्फ लोगों को सुरक्षित निकाल रही हैं, बल्कि पेट्रोलिंग, राहत सामग्री वितरण, और जरूरतमंदों की पहचान जैसे कार्य भी कर रही हैं।
प्रदेश सरकार ने संबंधित जिलों के डीएम (जिलाधिकारी) को निर्देशित किया है कि वे मौके पर रहकर राहत व बचाव कार्यों की स्वयं निगरानी करें। सीएम योगी खुद भी पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं और अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क में हैं।
सरकार की ओर से अब तक 1 लाख 20 हजार से अधिक खाद्यान्न पैकेट और 1 लाख 63 हजार से अधिक लंच पैकेट वितरित किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त, 39 से अधिक लंगर (सामुदायिक रसोई) में प्रतिदिन ताजा और गर्म भोजन तैयार कर बाढ़ पीड़ितों को वितरित किया जा रहा है।
मानव जीवन के साथ-साथ सरकार ने पशुओं की सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान दिया है। 20,000 से अधिक मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और उनके चारे-पानी की समुचित व्यवस्था भी की गई है। पशु चिकित्सा टीमें भी प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं।
उत्तर प्रदेश के जिन 21 जिलों में बाढ़ का सबसे अधिक असर पड़ा है, उनमें प्रमुख रूप से कानपुर नगर, लखीमपुर खीरी, आगरा, औरैया, चित्रकूट, बलिया, बांदा, गाजीपुर, मिर्जापुर, प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, जालौन, कानपुर देहात, हमीरपुर, इटावा, फतेहपुर, भदोही, फर्रुखाबाद और कासगंज शामिल हैं। प्रभावित जिलों में प्रशासन ने आपातकालीन कंट्रोल रूम स्थापित कर दिए हैं। हर जिले में बाढ़ राहत कैंप भी लगाए गए हैं जहां जरूरतमंदों को अस्थाई निवास, भोजन, चिकित्सा और पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।
बाढ़ के बाद संक्रमण और बीमारियों की आशंका को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी तैनात की गई हैं। डॉक्टरों के साथ-साथ पैरामेडिकल स्टाफ भी लगातार स्वास्थ्य जांच शिविर लगा रहे हैं। बुखार, डायरिया, संक्रमण आदि के लिए आवश्यक दवाएं, सैनिटाइज़र, ORS घोल आदि की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कई स्कूल अस्थायी राहत शिविरों में तब्दील किए गए हैं। बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार वैकल्पिक शैक्षणिक साधनों पर भी विचार कर रही है। साथ ही, बाढ़ से प्रभावित इलाकों में बिजली की आपूर्ति बहाल करने हेतु विद्युत विभाग के इंजीनियर और टेक्नीशियन लगातार काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ की गंभीरता को देखते हुए उच्चस्तरीय बैठक की है। उन्होंने हर जिले के डीएम से कहा है कि वे स्थानीय स्तर पर प्रभावी समन्वय बनाकर राहत कार्यों को तेज करें। सीएम ने कहा, "प्राकृतिक आपदाएं चुनौती होती हैं, लेकिन हमारी प्रतिबद्धता और तत्परता ही इन्हें अवसर में बदल सकती हैं। किसी भी नागरिक को भूखा, प्यासा या असहाय नहीं छोड़ा जाएगा।"
सरकार सिर्फ राहत कार्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचाव की योजना भी बना रही है। जल निकासी, नालों की सफाई, तटबंधों की मरम्मत, नदियों की तलहटी की खुदाई और चेतावनी तंत्र को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राजस्व विभाग को प्रभावित परिवारों का आंकलन कर अनुग्रह राशि वितरण की प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। बाढ़ से नष्ट हुई फसलों का भी आंकलन किया जा रहा है, जिससे किसानों को मुआवजा दिया जा सके।
लखनऊ में तैनात एनडीआरएफ टीम के एक कमांडर ने बताया, “हमारे पास जरूरी उपकरण, नावें और संचार साधन उपलब्ध हैं। प्रशासन से पूरा सहयोग मिल रहा है। हम दिन-रात जुटे हुए हैं ताकि कोई भी व्यक्ति फंसा न रह जाए। प्रभावितों को समय पर मदद मिले यही प्राथमिकता है।”