पिछले हफ्ते मुंबई के करीब मीरा-भायंदर शहर में मराठी न बोलने पर एक मारवाड़ी जैन समुदाय के दुकानदार से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) कार्यकर्ताओं ने मारपीट की। इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।
मुंबई से सटे मीरा-भयंदर इलाके में पिछले हफ्ते राज ठाकरे कि पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार को सिर्फ इसलिए पीटा क्योंकि वह मराठी नहीं बोल रहा था और हिंदी में बात कर रहा था। मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा की गई इस मारपीट के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल बढ़ गई। इस घटना के विरोध में मीरा-भायंदर के व्यापारियों ने बंद का ऐलान किया था। अब इस मुद्दे पर भाजपा और मनसे के बीच तीखी बयानबाज़ी शुरू हो गई है।
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री व भाजपा नेता आशीष शेलार (Ashish Shelar) ने मनसे के मराठी भाषा आंदोलन की तुलना पहलगाम आतंकी हमले से की है। उन्होंने कहा, "पहलगाम में धर्म पूछकर हिंदुओं को मारा गया, और यहां भाषा पूछकर निर्दोष हिंदुओं को पीटा जा रहा है। सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए। भाजपा मराठी अस्मिता की चिंता करती है, लेकिन गैर-मराठी लोगों पर भी अन्याय नहीं सहेगी।"
शेलार ने यह भी कहा कि भाजपा सत्ता में है और बड़ी पार्टी होने के नाते उनकी जिम्मेदारी है कि ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाए और रोका जाए।
मुंबई में मीडिया से मराठी भाषा विवाद पर बात करते हुए महाराष्ट्र के मंत्री शेलार ने कहा, "ये सभी घटनाएं पीड़ा, कष्ट और मानसिक तनाव पैदा करती हैं। पहलगाम में धर्म पूछकर लोगों को गोली मारी गई थी और यहां सिर्फ भाषा के आधार पर निर्दोष हिंदुओं को पीटा जा रहा है। ऐसे मामले समाज में अशांति फैलाते हैं..."
इस पर मनसे नेता अविनाश जाधव ने पलटवार करते हुए कहा, "आशीष शेलार हमें पहलगाम के बारे में बता रहे हैं, लेकिन जिन लोगों ने वहां हमला किया, क्या उन्हें पकड़ा गया? महाराष्ट्र में रहना है तो मराठी बोलना ही होगा। भाजपा की सारी राजनीति सिर्फ वोटों के लिए है। राज ठाकरे के भाषण को अधूरा कह रहे है, क्या वह मंच पर होते तो भाषण पूरा हो जाता? अगर मराठी पर कोई गलत बोलेगा, तो उसे जवाब दिया जाएगा।"
जाधव ने आगे कहा कि जब मार खाते हैं, तब भाजपा नेता नजर नहीं आते। उन्होंने भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा कि अब उन्हें करारा जवाब मिलेगा।
उधर, इस मामले पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, "जो लोग मुंबई में पैदा हुए हैं और भले ही वे किसी अन्य राज्य के हों लेकिन वे मराठी अच्छी तरह बोलते हैं। लेकिन अगर वो मराठी नहीं बोलते हैं तो कोई उनसे दादागिरी के लहजे में यह नहीं कह सकता कि सभी को मराठी बोलनी चाहिए, ये ठीक नहीं है। हम इसकी निंदा करते हैं। मैं राज्य सरकार से अपील करता हूं कि दादागिरी करने वाले और थप्पड़ मारने वालों को जेल में डालना चाहिए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। कई उद्योग गैर-मराठी लोगों के भी है और अगर वह यहां से चले गए तो बेरोजगारी बढ़ेगी, तो क्या राज ठाकरे वहां काम करने वालों को नौकरी देंगे?"