Rohit Pawar Shikhar Bank scam case: महाराष्ट्र के बहुचर्चित शिखर बैंक घोटाला मामले में राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी आरोपी थे।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (शिखर बैंक) घोटाले से जुड़े आर्थिक अनियमितताओं के मामले में शरद पवार के पोते और एनसीपी (एसपी) के विधायक रोहित पवार को बड़ी राहत मिली है। मुंबई स्थित विशेष पीएमएलए अदालत ने उन्हें पीआर बॉन्ड पर रिहा कर दिया है।
मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) की विशेष अदालत ने यह आदेश उस समय दिया जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रोहित पवार और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। अदालत ने कहा कि पवार को औपचारिक तौर पर गिरफ्तार नहीं किया गया, इसलिए उन्हें व्यक्तिगत जमानत मुचलका यानी पीआर बॉन्ड पर रिहा किया जाता है।
ईडी ने आरोपपत्र दाखिल करने से पहले ही रोहित पवार की बारामती एग्रो कंपनी की 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त कर ली थी। जनवरी 2023 में ईडी ने बारामती एग्रो और उससे जुड़ी अन्य जगहों पर छापेमारी भी की थी। इसके बाद कर्जत-जामखेड विधानसभा क्षेत्र से विधायक रोहित पवार को पूछताछ के लिए ईडी के मुंबई कार्यालय में बुलाया गया था।
एनसीपी शरद गुट के विधायक रोहित पवार गुरुवार को PMLA अदालत में पेश हुए। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र फर्जी है। ईडी द्वारा दायर आरोपपत्र में नाम होने के कारण अदालत ने उन्हें समन भेजा था। रोहित पवार के साथ उनके व्यावसायिक साझेदार राजेंद्र इंगोले को भी समन जारी किया गया है।
अदालत में रोहित पवार ने कहा, “हम सबका न्यायपालिका पर विश्वास है। लेकिन ईडी ने जिस तरीके से यह चार्जशीट दाखिल की है और जांच की है, वह गलत है।” उन्होंने यह भी कहा कि मूल एफआईआर में उनका नाम नहीं था, इसके बावजूद उन्हें समन भेजा गया और पूछताछ की गई। पवार ने ईडी पर राजनीतिक दृष्टिकोण से काम करने का आरोप भी लगाया। हालांकि, अदालत के आदेश के बाद पवार को बड़ी राहत मिली है।
एफआईआर के अनुसार, बैंक में अनियमितताओं के कारण 1 जनवरी 2007 से 31 दिसंबर 2017 के बीच राज्य के खजाने को 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। चीनी मिलों को बहुत कम दरों पर लोन दिया गया, जब वे डिफॉल्ट हो गए तो उनकी संपत्तियों को कौड़ियों के भाव में बेचा गया।
आरोप है कि शिखर बैंक ने करीब डेढ़ दशक पहले राज्य की 23 सहकारी चीनी मिलों को लोन दिया था। हालाँकि, ये फैक्ट्रियाँ घाटे के कारण डूब गईं। इसी बीच इन फैक्ट्रियों को कुछ नेताओं ने खरीद लिया। इसके बाद फिर शिखर बैंक की ओर से इन फैक्ट्रियों को लोन दिया गया। तब अजित पवार इस बैंक के निदेशक बोर्ड में थे। इस मामले में अजित दादा के साथ-साथ अमर सिंह पंडित, माणिकराव कोकाटे, शेखर निकम समेत कई नेताओं को आरोपी बनाया गया था।
इस मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 2020 में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी, लेकिन बाद में अजित पवार और उनके भतीजे रोहित पवार की जांच के लिए ईओडब्ल्यू मामले को फिर से खुलवाने के लिए अदालत चली गई। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने पिछले साल जनवरी में दूसरी रिपोर्ट दायर कर मामले को बंद करने की मांग की, जिसमें कहा गया कि अजित पवार सहित किसी के खिलाफ आगे जांच बढ़ाने जैसे कोई सबूत नहीं मिले है। तब ईओडब्ल्यू ने रोहित पवार से जुड़ी कंपनियों को भी क्लीन चिट दे दी थी। रिपोर्ट में कहा गया कि जब शरद पवार के पोते रोहित ने कन्नड़ चीनी मिल खरीदी थी तो उनकी बारामती एग्रो कंपनी आर्थिक रूप से मजबूत थी और पैसों की कोई हेरफेरी नहीं की गई। हालांकि क्लोजर रिपोर्ट का ईडी विरोध किया था।