प्रदेश में लगातार बढ़ रही है राजस्व प्रकरणों की पेंडेंसी, खाली पदों से फाइलों पर जम रही धूल, सबसे अधिक राजस्व मामले उपखंड अधिकारियों के पास लम्बित
नागौर. प्रदेश में लम्बित राजस्व प्रकरणों की संख्या वर्ष दर वर्ष बढ़ रही है। अप्रेल 2024 तक प्रदेश में 6,57,581 राजस्व प्रकरण लम्बित थे। राजस्व अधिकारियों की कार्यकुशलता में कमी व लम्बे समय से खाली पड़े पदों के चलते स्थिति सुधरने की बजाए दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच साल में 7.30 लाख राजस्व प्रकरण पंजीकृत हुए, जिमें से 5.24 लाख का ही फैसला हो पाया, जबकि 2 लाख की पेंडेंसी बढ़ गई। हालांकि सरकार ने राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 व राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 व इसके अन्तर्गत बने नियमों की समीक्षा एवं सरलीकरण के लिए 30 अप्रेल 2024 को एक सरलीकरण कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने राजस्व मण्डल अजमेर के साथ समस्त संभागीय आयुक्त एवं समस्त जिला कलक्टर्स से सरलीकरण के संबंध में सुझाव आमंत्रित किए थे। आठ महीने बीतने के बावजूद अभी तक कमेटी का कोई परिणाम नजर नहीं आया है।
प्रदेश में न्यायालयों में लम्बित राजस्व प्रकरण
न्यायालय का प्रकार - 8 अप्रेल 2024 तक लम्बित प्रकरण
राजस्व मंडल - 66,721
संभागीय आयुक्त - 9,392
अति. संभागीय आयुक्त - 4,661
राजस्व अपील अधिकारी - 22,709
भू-प्रबंध अधिकारी पदेन आरएए - 12,038
जिला कलक्टर - 15,073
एडीएम - 22,231
उपखंड अधिकारी - 4,21,343
सहायक कलक्टर - 33,858
सहायक कलक्टर (एफटी) - 34,391
उपनिवेशन - 1993
तहसीलदार - 8343
नायक तहसीलदार - 4828
कुल - 6,57,581
फेक्ट फाइल
एक अप्रेल 2019 तक कुल लम्बित राजस्व प्रकरण - 4,51,996
एक अप्रेल 2019 से 31 मार्च 2024 तक कुल पंजीकृत प्रकरण - 7,30,815
पांच साल में फैसले किए गए - 5,24,672
31 मार्च 2024 तक लम्बित प्रकरण - 6,58,139
पांच साल में बढ़े - 2,06,143
राजस्व के पारिवारिक प्रकरण अधिक
विशेषज्ञों के अनुसार राजस्व प्रकरणों में ज्यादातर मामले बंटवारे के, सहखातेदारों के, जिसमें भाइयों के बीच जमीन को लेकर विवाद होना, रास्तों के विवाद प्रमुख हैं। पिछले कुछ सालों से पिता की सम्पत्ति में बेटों के साथ बेटियों को बराबर का हकदार बनाने से भी राजस्व विवाद के प्रकरण बढ़े हैं।
ये हैं लम्बित प्रकरणों के प्रमुख कारण
राजस्व मामलों के विशेषज्ञ व वरिष्ठ आरएएस अधिकारी ने पत्रिका को बताया कि राजस्व प्रकरणों के वर्ष दर वर्ष बढऩे के कई कारण हैं, जिसमें राजस्व अधिकारियों के पद रिक्त होना। नागौर में राजस्व अपील अधिकारी का पद पिछले करीब एक साल से रिक्त है। सहायक कलक्टर का पद तीन साल से रिक्त है। जो पदस्थापित हैं, वे नियमित बैठक करें और उन्हें प्रोटोकॉल ड्यूटी में अतिआवश्यक होने पर ही लगाया जाए। राजस्व प्रकरणों की पेंडेंसी कम करने के लिए राजस्व अधिकारियों एवं उनके रीडर को प्रशिक्षण की आवश्यकता है, कई अधिकारी बिना विधिक प्रक्रिया अपनाए फैसले कर देते हैं, जो पेंडेंसी बढ़ाने के कारण बनते हैं।
पुराने प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारण
राज्य सरकार के त्वरित और गुणवत्तापूर्वक न्याय प्रदान करने के निर्देशों के अनुरूप पुराने प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारण किया जा रहा है। साथ ही पीठासीन अधिकारियों को नियमित तौर पर राजस्व न्यायालयों में बैठना, विभिन्न वाद संबंधी औपचारिकताएं जैसे नोटिस तामीली, कुर्रेजात रिपोर्ट आदि समयबद्ध तरीके से पूरी करना जैसे कार्यों पर काम किया जा रहा है।
- डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, जिला कलक्टर, जयपुर
एक्सपर्ट कमेंट - जिनके पास समय नहीं, उनको दे दी जिम्मेदारी
राजस्व से जुड़े ज्यादातर मामले प्रशासनिक अधिकारियों के पास हैं और प्रशासनिक अधिकारी सरकार एवं प्रशासन से जुड़े कार्यों में व्यस्त होने के कारण राजस्व प्रकरणों की सुनवाई में पूरा समय नहीं दे पाते हैं। दूसरा बड़ा कारण यह है कि वाद बाहुलता के हिसाब से न्यायालय ने नहीं खोले गए हैं, जबकि सरकार को जहां राजस्व प्रकरण ज्यादा हैं, वहां अतिरिक्त न्यायालय सृजित करने चाहिए। तीसरा कारण यह भी है कि राजस्व न्यायालयों में पूरे कर्मचारी नहीं है, जिसके कारण प्रतिवादी को समय पर नोटिस ही तामील नहीं हो पाते हैं। इसलिए सरकार को राजस्व न्यायालयों के सभी पद भरने चाहिए।
- भागीरथ चौधरी, एडवोकेट, नागौर