नरसिंहपुर

श्वानों-पशुओं ने ९ माह में ३००१ लोगों को काटा

महिलाओं के मुकाबले पुरूष अधिक शिकार-इस साल के आंकड़ों में यह भी खास है कि श्वानों अथवा अन्य जानवरों ने सबसे ज्यादा पुुरूषों को निशाना बनाया है। जिनकी संख्या २२२८ अर्थात ७४ प्रतिशत है जबकि महिलाओं की संख्या ७७३ है। श्वानों के अलावा, बंदर, बिल्ली, सूअर और अन्य जानवरों द्वारा काटने के 381 मामले सामने आए हैं।

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नरसिंहपुर. आपको यदि जानवरों से लगाव है या उन्हें पालने का शौक है तो सावधान रहें, पालतु जानवरों का वैक्सीनेशन भी करा लें। कहीं ऐसा न हो कि उनके काटने से मुसीबत न बढ़ जाए। क्योंकि जिले में करीब ९ माह में अब तक श्वान समेत अन्य पालतु और जंगली जानवर ३००१ लोगों को काट चुके हैं। जिनको इन जानवरों ने शिकार बनाया है उनमें पांच से लेकर ८५ वर्ष आयु तक के लोग हैं। रोचक यह है कि इनमें सर्वाधिक ८७ प्रतिशत मामले श्वान द्वारा काटने के हैं।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कहते हैं कि जनवरी से २८ सितंबर तक जिले में 3001 लोग जानवरों के काटने का शिकार हुए हैं। इसमें सबसे ज्यादा 2620 मामले श्वानों के हमलों के रहे, जबकि 381 लोग अन्य जानवरों के हमले का शिकार हुए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंकड़ा केवल संख्या नहीं, बल्कि समाज और स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बड़े खतरे का संकेत है। जो लोगों की लापरवाही को भी बयंा कर रहा है।
महिलाओं के मुकाबले पुरूष अधिक शिकार-इस साल के आंकड़ों में यह भी खास है कि श्वानों अथवा अन्य जानवरों ने सबसे ज्यादा पुुरूषों को निशाना बनाया है। जिनकी संख्या २२२८ अर्थात ७४ प्रतिशत है जबकि महिलाओं की संख्या ७७३ है। श्वानों के अलावा, बंदर, बिल्ली, सूअर और अन्य जानवरों द्वारा काटने के 381 मामले सामने आए हैं।
इलाज और रोकथाम ही समाधान-जिला महामारी विशेषज्ञ डॉ. गुलाब खातरकर कहते हैं कि जिले में इस संबंध में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। कलेक्टर एवं सीएमएचओ के निर्देशन में विभिन्न माध्यमों से बताया जा रहा है कि किसी जानवर द्वारा यदि उन्हें काटा जाता है तो उन्हें किस तरह बचाव करना चाहिए। जिले में पर्याप्त मात्रा में रैबीज के इंजेक्शन उपलब्ध हैं। एक वायल से पांच डोज दिए जाते हैं। किसी भी जानवर के काटने पर तुरंत 15-20 मिनट तक साबुन और पानी से घाव धोना चाहिए। तत्काल रेबीज टीका और इंजेक्शन लगाना अनिवार्य है। कुत्तों और अन्य पालतू जानवरों का नियमित टीकाकरण बेहद जरूरी है।
क्यों गंभीर है यह स्थिति
विशेषज्ञों का कहना है कि रेबीज एक बार होने पर असाध्य और जानलेवा साबित होता है। कई लोग जानवरों को पालते हैं लेकिन उनका वैक्सीन नहीं कराते, उन्हें यदि उनके जानवर चाट लेते हैं, काट देते हैं या फिर नाखून लग जाता है तो कई बार इसे नजर अंदाज कर देते हैं जोकि बहुत बड़ी लापरवाही है। सामूहिक स्तर पर आवारा श्वानों का नियंत्रण और नसबंदी अभियान चलना बेहद जरूरी है।

Published on:
29 Sept 2025 02:10 pm
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