यूआईडीएआई के एक कर्मचारी ने अपने कुछ सहकर्मियों और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ आधार सिस्टम के साथ धोखाधड़ी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है।
दिल्ली पुलिस ने आधार सिस्टम के कथित धोखाधड़ी वाले इस्तेमाल के मामले में एक एफआईआर दर्ज की है। आधार कार्ड जारी करने वाली संस्था, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के एक कर्मचारी के अपने कुछ सहकर्मियों सहित कुछ अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद यह कार्रवाई की गई है। इस एफआईआर में यूआईडीएआई के दिल्ली स्थित रिजनल ऑफिस के दो मल्टी-टास्किंग ऑपरेटरों ( एमटीओ )के साथ-साथ दो आधार ऑपरेटरों और कुछ अन्य अज्ञात लोगों को मुख्य आरोपी बताया गया था।
यूआईडीएआई के मुख्यालय में प्रवर्तन प्रभाग के सहायक अनुभाग अधिकारी रविंदर रावल ने 10 जुलाई को नई दिल्ली जिले के साइबर पुलिस स्टेशन में यह एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके अनुसार, www.findkar.online वेबसाइट के बिना अनुमति के आधार से जुड़ी अलग-अलग सेवाएं देने की जानकारी मिलने के बाद यूआईडीएआई ने एक अंदरूनी जांच शुरु की थी।
यह वेबसाइट बिना इजाजत के नागरिकों को अपने फिंगरप्रिंट बायोमेट्रिक्स या आधार नंबर का उपयोग कर के आधार कार्ड प्रिंट करवाने की सुविधा दे रही थी। इसके अलावा आधार नंबर नहीं होने पर अपनी एनरोलमेंट आईडी ( ईआईडी )और पंजीकृत मोबाइल नंबर का उपयोग करके अपना आधार नंबर प्राप्त करने जैसी सुविधाएं भी यह वेबसाइट बिना अनुमति दे रही थी।
वेबसाइट की सत्यता की जांच करने के लिए, प्राधिकरण ने 5 मई को रात करीब 9 बजे वेबसाइट पर एक टेस्ट ईआडी साझा की जिससे यह वेबसाइट एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन ( यूआईडी )जनरेट कर सके। शिकायतकर्ता रावल ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया है कि, वेबसाइट ने ईआईडी का उपयोग कर के यूआईडी जनरेट करने की अपनी सेवा के लिए 300 रुपये चार्ज किए।
रावल ने बताया कि, ईआईडी के जवाब में, वेबसाइट ने धोखाधड़ी से आधार नंबर प्राप्त किया और उसे वेबसाइट पर प्रदर्शित किया। इसके बाद प्राधिकरण ने अपने सिस्टम की मदद से यह पता लगाने की कोशिश की कि यह ईआईडी किसने खोजी थी तो उन्होंने पाया कि इसे एक मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑपरेटर ने 6 मई को दोपहर 2:55 बजे खोजा था।
एफआईआर के अनुसार, एक एमटीओ जिसे आधार से जुड़ी जानकारी को क्वालिटी चेक और रिव्यू करने के लिए लिमिटेड एक्सेस मिला हुआ था, उसने यह स्वीकार किया है कि एक दूसरा एमटीओ अक्सर उसकी लॉगइन आइडी का इस्तेमाल कर के आरओ पोर्टल को एक्सेस करता था। उसने बताया कि इसके लिए वह वन टाइम पासवर्ड भी पूछता था। एमटीओ ने बताया कि इसमें से कुछ एक्सेस तो सरकारी काम के लिए थे, लेकिन कई बार वह दूसरा एमटीओ बिना इजाजत डेटा सर्च करने के लिए भी उसके पोर्टल का इस्तेमाल करता था। वहीं दूसरे एमटीओ ने भी यह स्वीकार किया है कि उसके पास आरओ पोर्टल का एक्सेस नहीं था इसलिए वह अपने सहकर्मी के लॉगइन आईडी का इस्तेमाल करता था।
इस दूसरे एमटीओ ने एक आधार ऑपरेटर से अपने कनेक्शन का भी खुलासा किया है। उसने बताया कि यह आधार ऑपरेटर एक्सर उसे संपर्क करता था क्योंकि उसका सिस्टम ईआईडी या मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करके लोगों की आधार डिटेल्स नहीं निकाल पा रहा था। एमटीओ के अनुसार आधार ऑपरेटर ने इसकी वजह यह बताई थी कि उसके आधार सेंटर पर कई ऐसे लोग आते है जो इन डिटेल्स का इस्तेमाल कर के अपने आधार की जानकारी चाहते हैं, लेकिन उसका सिस्टम ऐसा नहीं कर पा रहा है।
एफआईआर के मुताबिक, यह ऑपरेटर एमटीओ को ईआडी या मोबाइल नंबर भेजता था। एमटीओ इन नंबरों का उपयोग कर के आरओ पोर्टल से यूआईडी निकाल कर उन्हें ऑपरेटर के साथ साझा करता था। ऐसी हर लेने देन के बदले ऑपरेटर एमटीओ को 50 रुपये का भुगतान करता था। यह पैसा अक्सर एमटीओ की पत्नी को दिए जाते थे, जो बाद में इसे अपने पति के खाते में ट्रांसफर कर देती थी।
एफआईआर में इस तरह के एक और मामाले का जिक्र किया गया है, जिसमें एक दूसरा आधार ऑपरेटर लोगों की जानकारी निकालने के लिए उनकी डिटेल एमटीओ को भेजता था। इस काम के लिए भी भुगतान किया जाता था। इस एफआईआर में अप्रैल 2023 से फरवरी 2025 तक के विस्तृत वित्तीय लेन-देन का रिकॉर्ड शामिल है, जो दर्शाता है कि एमटीओ को पैसे भेजे गए थे। मामले की जांच के दौरान एमटीओ ने यह भी खुलासा किया है कि उसने यूआईडीएआई के दिल्ली मुख्यालय में दो पूर्व एमटीओ को भी पैसे भेजे थे। यह पूर्व एमटीओ पहले से ही धोखाधड़ी वाली आधार अपडेट गतिविधियों के लिए जांच के दायरे में हैं।