युद्ध का नया मैदानः अमरीकी कंपनियों के प्रभावित होने की आशंका। एनवीडिया, ओपनएआइ और गूगल के बिजनेस मॉडल पर असर पड़ेगा।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंडेलिजेंस (AI) की दुनिया में बादशाहत के लिए अमरीका और चीन के बीच एक तरह से जंग छिड़ गई है। चीनी एआइ रिसर्च लैब डीपसीक ने हाल ही में एआइ की दुनिया को चौंकाते हुए अपना नया ओपन-सोर्स मॉडल डीपसीक-आर1 लॉन्च किया। इसका सोमवार को दुनियाभर के बाजारों पर भी असर दिखा, जिसकी चपेट में भारतीय आइटी सेक्टर भी आ गए और शेयर बाजार में भूचाल आ गया। निफ्टी के आइटी इंडेक्स में 3.36 फीसदी की गिरावट आई। आइटी कंपनियों के शेयर दो से पांच फीसदी तक लुढ़क गए।
खास बात यह है कि चीनी एआइ मॉडल अमरीकी मॉडल से करीब 95 फीसदी सस्ता है। इससे ग्लोबल एआइ उद्योग में एक नई बहस छिड़ गई है। यह न केवल ओपनएआइ जैसे अमरीकी दिग्गजों को टक्कर दे रहा है बल्कि, कई मामलों में उनसे बेहतर भी माना जा रहा है। बताया गया कि डीपसीक-आर1 मॉडल प्रोजेक्ट पर मात्र 60 लाख डॉलर का खर्च आया है। अमरीकी ओपनएआइ के 01 मॉडल की तुलना में इसका सक्सेस रेट करीब 97 फीसदी है।
चीन के कम लागत वाले एआइ मॉडल से दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियों जैसे एनवीडिया, ओपनएआइ और गूगल का बिजनेस मॉडल प्रभावित होने की संभावना है। अपनी बादशाहत बचाने के लिए अमरीका अब बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। हालांकि, डीपसीक ने दिखा दिया कि एआइ की दुनिया में केवल बड़े निवेश और महंगे चिप्स से ही काम नहीं चलता।
डीपसीक की वजह से बाजार में आई गिरावट से अमरीकी टेक कंपनियों के करीब 112 लाख करोड़ रुपए यानी 1.30 ट्रिलियन डॉलर साफ हो गए। बाजार पूंजी में सबसे अधिक 475 बिलियन डॉलर (करीब 41 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान एनवीडिया को हुआ। कंपनी के शेयरों में 16 फीसदी गिरावट आई। एनवीडिया को हुआ यह नुकसान टाटा समूह की कुल बाजार पूंजी से भी करीब 25 फीसदी अधिक है। यह रिलायंस इंडस्ट्रीज सहित भारत की टॉप-3 कंपनियों के कुल मार्केट कैप और पाकिस्तान-न्यूजीलैंड जैसे दुनिया के 140 देशों की जीडीपी से भी ज्यादा है।
डीपसीक आर1 मॉ़डल एआइ की दुनिया में एक नई मिसाल बन चुका है। यह मॉडल अपनी बेहतरीन रीजनिंग क्षमता, मैथ और कोडिंग जैसे कार्यों में शानदार प्रदर्शन कर रहा है।
डीपसीक ने न केवल अपने प्रमुख मॉडल को ओपन-सोर्स किया है, बल्कि इसके छोटे वर्जन भी डेवलपरों के लिए उपलब्ध कराए हैं।
इन सभी मॉडल्स को एमआइटी लाइसेंस के तहत लॉन्च किया गया है, जिससे डेवलपर इन्हें फाइन-ट्यून और कस्टमाइज कर सकते हैं। इस मॉडल की सबसे खास बात इसकी किफायती ट्रेनिंग तकनीक है।
डीपसीक के संस्थापक लियांग वेनफेंग का सफर बेहद प्रेरणादायक है। 1985 में जन्मे लियांग ने झेजियांग यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और उसके बाद फाइनेंशियल हेज फंड इंडस्ट्री में कदम रखा। लेकिन उनका असली सपना एआइ की दुनिया में कुछ बड़ा करना था। - डीपसीक में लियांग ने चीन की टॉप यूनिवर्सिटी के युवाओं को मौका दिया। ये युवा वैज्ञानिक नए इनोवेशन के लिए भी पूरी तरह समर्पित थे। लियांग का मानना है कि युवा दिमाग ज्यादा साहसी होते हैं और जोखिम उठाने को तैयार रहते हैं, जो एआइ जैसी तकनीकी क्षेत्र में जरूरी है।