भाजपा नेता राम कदम ने उद्धव ठाकरे की रैली की आलोचना करते हुए उसे रोने धोने का कार्यक्रम बताया और कहा कि इस रैली में मुंबई-महाराष्ट्र को तोड़ने की बातें होंगी।
दशहरा के अवसर पर मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) द्वारा रैली का आयोजन किया जा है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में यह रैली निकाली जाएगी। रैली से पहले भारतीय जनता पार्टी की इस लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। भाजपा ने उद्धव ठाकरे की इस रैली को रोने-धोने का कार्यक्रम बताते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे के पास कोई नया मुद्दा नहीं है। भाजपा नेता राम कदम ने मीडिया बातचीत के दौरान कहा, इस कार्यक्रम में सिर्फ गद्दार और खंजर जैसे पूराने शब्द ही दोहराए जाएंगे। मुंबई-महाराष्ट्र को तोड़ने की बातें होंगी। इसके अलावा, इस रैली में प्रधानमंत्री और एकनाथ शिंदे पर ही टिप्पणी होगी।
भाजपा नेता ने आगे कहा, लेकिन आज सवाल यह है कि इन लोगों ने किसानों को क्या दिया। राम कदम ने उद्धव के किसान मुद्दे पर तंज कसते हुए कहा, जब वे मुख्यमंत्री थे, तब किसानों से मिलने गए लेकिन रेड कार्पेट बिछाया ताकि मिट्टी उनके पैरों पर न लगे। हाथ तक नहीं मिलाया, क्योंकि हाइजीन का बहाना था। ऐसे व्यक्ति हमें क्या सिखाएंगे। उन्होंने रैली को विपक्ष की हताशा का प्रतीक बताया और कहा कि यह बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए फंड रीडायरेक्ट करने का समय है, न कि राजनीतिक नाटक का। भाजपा ने पहले ही मांग की है कि रैली रद्द कर फंड बाढ़ पीड़ितों के लिए इस्तेमाल किया जाए।
राम कदम ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की मां के आरएसएस कार्यक्रम में आमंत्रण पर उठे विवाद पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, सीजेआई की मां का संघ कार्यक्रम में आना स्वाभाविक है। इतिहास सब जानता है कि उनके पति, स्वर्गीय आरएस गवई (सीजेआई के पिता). भी संघ के कार्यक्रमों में जाते थे। माता जी भी जाना चाहती थीं, लेकिन विपक्ष की टिप्पणियों से व्यथित होकर रुक गईं। राम कदम ने विपक्ष की आलोचना को सस्ती राजनीति बताया और कहा, विपक्ष को समझना चाहिए कि राजनीति की सीमा कहां है।
आरएसएस को लेकर राम कदम ने कहा, संघ पोर्टल है, जो राष्ट्र को प्रथम रखने की सीख देता है। आपदा, विपत्ति या त्रासदी में सबसे पहले साहसी फौज पहुंचती है, उसके साथ संघ के स्वयंसेवक। वे किरदार निभाते हैं, लेकिन परदे पर नहीं आते। त्यागपूर्ण जीवन जीते हैं। उन्होंने उत्तर-पूर्व के नक्सल प्रभावित इलाकों का उदाहरण दिया, जहां संघ के सेवक जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। वहीं, कदम ने विपक्ष से अपील की कि केवल खुन्नस के लिए विरोध न करें। एक बार संघ की शाखा में जाकर देखें। बिना अध्ययन के विरोध सिर्फ खुन्नस के लिए होता है।