केंद्र सरकार ने राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने की घटना के बाद सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए व्यापक उपाय करने का निर्देश दिया है। सभी स्कूलों में अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट करने को कहा गया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार को सरकारी स्कूल की छत गई। इस हादसे में कई मासूमों की मौत हो गई, वहीं कई बच्चे घायल हो गए। इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शाषित प्रदेशों के लिए नया निर्देश जारी किया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूली बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत व्यापक उपाय करने का निर्देश दिया है। सभी शैक्षणिक संस्थानों से बच्चों और किशोरों के लिए अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट करने को कहा गया है।
ऑडिट में राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों और आपदा प्रबंधन प्रोटोकॉल का पालन करने का आदेश है। इसमें संरचनात्मक अखंडता, बिजली सिस्टम, अग्नि सुरक्षा प्रावधानों और आपातकालीन निकासी बुनियादी ढांचे जैसे कारकों का आकलन करना होगा।
इसका उद्देश्य कमजोरियों की सक्रिय रूप से पहचान करना और नुकसान पहुंचने से पहले खतरे को जड़ से खत्म करना है। मंत्रालय ने एक सुव्यवस्थित और जवाबदेह रिपोर्टिंग तंत्र की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।
आदेश में कहा गया है कि बच्चों के लिए संभावित खतरा पैदा करने वाली किसी भी खतरनाक घटना, निकट-दुर्घटना या घटना की सूचना 24 घंटे के भीतर राज्य या केंद्र शासित प्रदेश प्राधिकरण को दी जानी चाहिए।
यह भी कहा गया है कि जो भी संस्थान यदि नए निर्देश का पालन नहीं करते हैं और कोई घटना होती है तो उनकी कड़ी जवाबदेही होगी। इसमें देरी या लापरवाही के मामलों में प्रशासनिक कार्रवाई भी होगी।
शारीरिक सुरक्षा के अलावा, छात्रों के मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को लेकर भी निर्देश जारी किया गया है। स्कूलों को परामर्श सेवाओं, सहकर्मी सहायता नेटवर्क और ऐसे आउटरीच कार्यक्रमों को आयोजित करने को कहा गया है, जो बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकें।
प्रशिक्षण और तैयारी भी इस आदेश का एक प्रमुख हिस्सा हैं। कर्मचारियों और छात्रों को नियमित सुरक्षा अभ्यास, प्राथमिक उपचार निर्देश और जागरूकता कार्यशालाओं के जरिए आपात स्थितियों से निपटने के लिए तैयार करना होगा।
संस्थानों को किसी भी खतरे से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), अग्निशमन सेवाओं, कानून प्रवर्तन और चिकित्सा कर्मियों सहित स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग को मजबूत करना होगा।
मंत्रालय ने माता-पिता, अभिभावकों, स्थानीय निकायों और सामुदायिक नेताओं से सतर्क रहने और स्कूल परिसरों, सार्वजनिक क्षेत्रों और परिवहन सेवाओं में बच्चों की सुरक्षा में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया है।
शिक्षा विभागों, स्कूल बोर्डों और संबद्ध एजेंसियों को नए उपायों को बिना किसी देरी के लागू करने का निर्देश दिया गया है। मंत्रालय ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ साझेदारी करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संस्थागत निगरानी या तैयारी की कमी के कारण किसी बच्चे को नुकसान ना हो।