Corruption in India: ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
Corruption in India: ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा मंगलवार को जारी 2024 के भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) के अनुसार, भारत को 180 देशों में से 96वां स्थान प्राप्त हुआ है। हालांकि, यह रैंकिंग भारत के लिए सकारात्मक संकेत नहीं है, क्योंकि पिछले वर्ष यानी 2023 में भारत का स्कोर 39 था, जो अब घटकर 38 पर पहुंच गया है। इस गिरावट ने देश में सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के मामूली बढ़ते स्तर को उजागर किया है। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) देश की भ्रष्टाचार से संबंधित समग्र स्थिति को मापता है, जो मुख्य रूप से सरकारी और सार्वजनिक संस्थाओं में भ्रष्टाचार के स्तर पर आधारित होता है।
CPI, 0 से 100 के स्केल पर मापा जाता है, जहां 0 का मतलब होता है अत्यधिक भ्रष्टाचार और 100 का मतलब होता है भ्रष्टाचार से मुक्त स्थिति। यह सूचकांक विभिन्न देशों के सार्वजनिक क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के स्तर का मूल्यांकन करता है, जिसमें रिश्वतखोरी, सार्वजनिक कार्यालयों का निजी लाभ के लिए दुरुपयोग, सरकारी धन का अपव्यय, भ्रष्टाचार को रोकने की क्षमता, भाई-भतीजावाद, और लालफीताशाही जैसी अभिव्यक्तियाँ शामिल हैं। यह सूचकांक कम से कम तीन डेटा स्रोतों पर आधारित होता है, जो विश्व बैंक और विश्व आर्थिक मंच जैसे प्रमुख संस्थानों द्वारा एकत्रित किए जाते हैं।
भारत का स्कोर 38 पर आकर एक संकेत देता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकारी प्रयासों में कुछ कमी है। 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का स्थान वैश्विक स्तर पर सुधार की आवश्यकता को दर्शाता है, खासकर उन देशों के संदर्भ में जो पारदर्शिता और प्रशासनिक स्वच्छता में प्रगति कर रहे हैं। भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान (स्कोर: 27) और श्रीलंका (स्कोर: 32) की स्थिति भी चिंता का कारण बनी हुई है, जबकि चीन (स्कोर: 45) और बांग्लादेश (स्कोर: 27) जैसे देशों में भ्रष्टाचार के स्तर को लेकर समान चुनौतियां सामने आती हैं।
इन देशों ने सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार को न्यूनतम रखा है और अच्छे प्रशासनिक उपायों की वजह से ये विश्वभर में सबसे पारदर्शी माने जाते हैं।
इन देशों में भ्रष्टाचार बेहद उच्च स्तर पर है, जो उनके विकास और नागरिकों की जीवन गुणवत्ता के लिए गंभीर समस्याएं पैदा करता है।
2024 CPI रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भ्रष्टाचार जलवायु संकट को और गंभीर बना सकता है। जब सरकारों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक फंड प्राप्त होते हैं, तो उनका दुरुपयोग या चोरी होने की स्थिति में पर्यावरणीय नुकसान और वैश्विक तापमान वृद्धि को नियंत्रित करने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न होती है। यह रिपोर्ट देशों को भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अधिक प्रयास करने और पारदर्शिता बढ़ाने की आवश्यकता का संकेत देती है, ताकि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने में प्रगति हो सके।