स्विफ्ट को 2004 में लॉन्च किया गया था। यह वेधशाला ब्लैक होल, सुपरनोवा, न्यूट्रॉन स्टार और दूर की आकाशगंगाओं का अध्ययन करती है। फिलहाल यह धरती से लगभग 585 किलोमीटर ऊपर निचली कक्षा ऑर्बिट में है। लेकिन वातावरण के हल्के खिंचाव के कारण यह नीचे आ रही है।
नासा का 1.4 टन वजनी नील गेरेल्स स्विफ्ट टेलिस्कोप धीरे-धीरे धरती के वातावरण की ओर खिसक रहा है। इस अहम अंतरिक्ष वेधशाला को बचाने के लिए नासा ने एक अनोखी योजना बनाई है। स्विफ्ट टेलीस्कोप को ऊंचे ऑर्बिट में धकेलने की कोशिश की जाएगी। खास बात यह है कि इस जटिल अभियान के लिए नासा ने पहली बार निजी कंपनी की मदद ली है। स्विफ्ट को 2004 में लॉन्च किया गया था। यह वेधशाला ब्लैक होल, सुपरनोवा, न्यूट्रॉन स्टार और दूर की आकाशगंगाओं का अध्ययन करती है। फिलहाल यह धरती से लगभग 585 किलोमीटर ऊपर निचली कक्षा ऑर्बिट में है। लेकिन वातावरण के हल्के खिंचाव के कारण यह नीचे आ रही है। नासा का अनुमान है कि अगर कुछ नहीं किया गया तो 2026 के अंत तक यह धरती के वातावरण में प्रवेश कर जल सकती है।
नासा ने अमरीकी कंपनी काटलिस्ट स्पेस टेक्नोलॉजीज को करीब 250 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट दिया है। यह कंपनी लिंक नाम के अपने खास अंतरिक्ष यान को मई 2026 में भेजेगी। लिंक, स्विफ्ट के साथ जुड़कर अपने थ्रस्टर की मदद से उसे सुरक्षित ऊंचाई वाली कक्षा में धकेलेगा। अगर यह मिशन सफल होता है, तो यह उपग्रहों की कक्षा बदलने जैसी तकनीकों के लिए एक मिसाल बन जाएगा।
स्विफ्ट को कभी सर्विसिंग के लिए डिजाइन ही नहीं किया गया था। इसमें न तो इंजन है और न ही डॉकिंग की सुविधा। ऐसे में लिंक अंतरिक्ष यान को उन धातु की रिंग्स को पकड़ना होगा जो लॉन्च से पहले स्विफ्ट को सहारा देने के लिए बनाई गई थीं। काटलिस्ट के सीईओ एंडी ली के मुताबिक, इस काम के लिए एक खास रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जा रहा है।