Delhi Air Quality: दिवाली से पहले दिल्ली का AQI 245 तक पहुंच गया है। लेकिन कई इलाकों में यह स्तर 350 से भी ऊपर चढ़ गया है।
त्योहारों की धूम में डूबने को तैयार दिल्ली अब जहरीली हवा की चपेट में आ गई है। दिवाली से पहले ही वायु प्रदूषण ने शहरवासियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 245 तक पहुंच गया है, जो 'खराब' श्रेणी में आता है। लेकिन कई इलाकों में यह स्तर 350 से भी ऊपर चढ़ गया है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो चला है।
आनंद विहार और वजीरपुर में हालात गंभीर दिल्ली के 39 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से पांच पर 'बहुत खराब' श्रेणी दर्ज की गई है। सबसे ज्यादा प्रभावित आनंद विहार है, जहां AQI 369 तक पहुंच गया, जो 350 के पार होने का स्पष्ट संकेत है। इसके अलावा वजीरपुर में 352, द्वारका सेक्टर-8 में 319, दिल्ली यूनिवर्सिटी नॉर्थ कैंपस में 307 और सीआरआरआई मथुरा रोड पर 307 का AQI रिकॉर्ड किया गया। एनसीआर के अन्य हिस्सों में भी हालात चिंताजनक हैं—नोएडा के सेक्टर-125 में 334 और गाजियाबाद के लोनी में 358 तक पहुंचा प्रदूषण।
| इलाका | AQI स्तर (17 अक्टूबर सुबह) |
|---|---|
| आनंद विहार | 369 |
| वजीरपुर | 352 |
| द्वारका सेक्टर-8 | 319 |
| नोएडा सेक्टर-125 | 334 |
| गाजियाबाद लोनी | 358 |
| दिल्ली औसत | 245 |
सीपीसीबी के अनुसार, AQI 301-400 को 'बहुत खराब' माना जाता है, जिसमें सांस संबंधी बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा रोगियों के लिए। 401-500 'गंभीर' श्रेणी है, जो स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।
वायु प्रदूषण में परिवहन उत्सर्जन का योगदान सबसे ज्यादा (16.7%) है, उसके बाद पराली जलाना, उद्योग और धूल। सर्दी की दस्तक के साथ तापमान 18.1 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है, जो प्रदूषकों को हवा में लटकाए रख रहा है। हवा की गति धीमी होने से स्मॉग की परत गाढ़ी हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली पर 'ग्रीन पटाखों' की बिक्री और फोड़ने की अनुमति मिलने से उत्सर्जन बढ़ सकता है, भले ही सुप्रीम कोर्ट ने समय-सीमा तय की हो।
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए विन्टर एक्शन प्लान 2025-26 लॉन्च किया है। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत स्टेज-1 लागू कर दिया गया है, जिसमें सड़कों पर पानी छिड़काव, कचरा उठान, वाहनों की PUC जांच और धूल नियंत्रण के निर्देश शामिल हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने निर्माण स्थलों पर सख्ती का ऐलान किया है। हालांकि, पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि रिक्त पदों (DPCC में 55%) के कारण कार्यान्वयन कमजोर है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाई है।