राष्ट्रीय

Explainer: क्या है पश्चिमी विक्षोभ, कैसे होता है सक्रिय, मानसून पर क्या पड़ता है असर?

Western Disturbance: पश्चिमी विक्षोभ एक प्रकार की मौसमी प्रणाली है जो मध्य एशिया—मुख्यतः कैस्पियन सागर और भूमध्य सागर—से उत्पन्न होकर पश्चिम से पूर्व दिशा में चलती है। यह एक कम दबाव वाला तूफान होता है।

2 min read
May 04, 2025

What is western disturbance: उत्तर भारत के मौसम में जब अचानक ठंडक बढ़ जाए, बारिश या बर्फबारी हो जाए या फिर गर्मियों के बीच राहत देने वाली हल्की फुहारें गिरें, तो इसके पीछे अक्सर एक अदृश्य लेकिन ताकतवर मौसमी प्रणाली होती है-जिसे कहते हैं पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance)। यह शब्द सुनने में तकनीकी लग सकता है, लेकिन इसका भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम पर असर बेहद गहरा और व्यापक है। खासकर उत्तर भारत के हिमालयी और मैदानी इलाकों में इसका सीधा प्रभाव पड़ता है।

क्या है पश्चिमी विक्षोभ

पश्चिमी विक्षोभ ऐसे तूफान हैं, जो कैस्पियन या भूमध्यसागर में उत्पन्न होते हैं। उत्तर पश्चिमी भारत में इसी के चलते गैर मानसूनी वर्षा, बर्फबारी और कोहरे की स्थिति पैदा होती है। यह उच्च वायुदाब क्षेत्रों के प्रभाव में बहते हुए पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ता है। विक्षोभ का तात्पर्य ‘विक्षुब्ध’ क्षेत्र या कम हवा वाले दबाव क्षेत्र से है।

कैसे सक्रिय होता है

पश्चिमी विक्षोभ आमतौर पर ठंडी और नम हवाओं के साथ सक्रिय होता है। यह हवाएं ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होते हुए भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में प्रवेश करती हैं। जब ये हवाएं हिमालयी पर्वतों से टकराती हैं, तो बर्फबारी और वर्षा का सिलसिला शुरू हो जाता है। इसकी तीव्रता और प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि ऊपरी वायुमंडल में वायु का प्रवाह कितना तेज है। यदि यह धीमा होता है, तो विक्षोभ अधिक देर तक एक ही स्थान पर बना रह सकता है, जिससे अधिक वर्षा और कभी-कभी बाढ़ की स्थिति भी बन सकती है।

गति से तय होता है असर

पश्चिमी विक्षोभ की गति इस बात पर निर्भर करती है कि ऊपरी वायुमंडल में वायु प्रवाह कैसा है। यदि प्रवाह धीमा होता है, तो विक्षोभ अधिक देर तक एक स्थान पर बना रह सकता है, जिससे अत्यधिक वर्षा या बर्फबारी की संभावना बढ़ जाती है। कई बार बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है।

कैसे बदलता है मौसम का मिजाज

—गर्मियों में विक्षोभ जब उत्तर भारत से गुजरता है, तो बादल छाते हैं और बारिश होती है।
—मई-जून में उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ के कारण लू और गर्मी से राहत मिलती है।
—अप्रेल से जून के बीच पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता है, तो प्री-मॉनसून की बारिश होती है।

मानसून पर भी असर

यदि मई-जून के अंत तक पश्चिमी विक्षोभ बार-बार सक्रिय रहता है, तो यह मानसून की हवाओं के भारत में प्रवेश को धीमा कर सकता है। कई बार मानसून की आवक में देरी या स्थिरता (stalling) का कारण बनता है। इससे भारत के दक्षिण-पश्चिम मानसून चक्र पर सीधा असर पड़ता है।

पश्चिमी विक्षोभ भारत की जलवायु का एक अहम हिस्सा है। मौसम विभाग इसकी लगातार निगरानी करता है क्योंकि इसके प्रभाव से न केवल मौसम बदलता है, बल्कि खेती, जल संचयन और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों पर भी सीधा असर पड़ता है। बदलते जलवायु परिदृश्य में पश्चिमी विक्षोभ की प्रकृति और असर को समझना पहले से ज्यादा जरूरी हो गया है।

Published on:
04 May 2025 10:18 am
Also Read
View All

अगली खबर