Environmental Awareness news: वन क्षेत्रों में हाइवे, बांध, बिजली की लाइनें समेत कई अन्य तरह के विकास कार्य जोर-शोर से हो रहे हैं। मध्यप्रदेश और राजस्थान में सबसे ज्यादा डायवर्जन हुआ है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट-
Environmental News: दुनिया में वन और विकास के बीच द्वंद की चर्चा पुरानी है लेकिन जलवायु परिवर्तन से सामने आ रहे दुष्परिणामाें ने पलड़ा वनों की अनिवार्यता की ओर झुकाया है। वनों का संरक्षण और संतुलित विकास बड़ा मुद्दा है लेकिन भारत में विकास की घुसपैठ जंगलों में होती दिखाई दे रही है। पिछले पांच साल में देश में विकास कार्याें के लिए करीब 95725 हेक्टेयर वन भूमि कुर्बान की गई है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 8731 डायवर्जन (वनभूमि को अन्य कार्याें के लिए मुक्त करना) प्रस्तावों को मंजूरी दी है। हालांकि सरकार का दावा है कि इसके बदले में 1.82 लाख हेक्टेयर भूमि में क्षतिपूर्ति के रूप में पेड़ लगाकर वनीकरण किया गया है। लेकिन बड़ा सवाल इस उक्ति में छिपा है कि इंसान पेड़ लगा सकता है वन नहीं।
वन क्षेत्रों में हाइवे, बांध, बिजली की लाइनें समेत कई अन्य तरह के विकास कार्य जोर-शोर से हो रहे हैं जो सार्वजनिक रूप से अहम हैं लेकिन खनन गतिविधियों के लिए भी बड़े पैमाने पर वन भूमि के डायवर्जन के प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई है। अप्रेल 2019 से मार्च 2024 तक 18 हजार 922 हैक्टेयर वन भूमि पर खनन के 179 प्रस्तावों को मंजूर किया गया है। वन क्षेत्र में मध्यप्रदेश में 21, छत्तीसगढ़ में 11 और राजस्थान में 4 खनन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। अभयारण्यों व राष्ट्रीय उद्यानों में विकास कार्यों के प्रस्तावों को मंजूरी देने की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जहां 2019 में यह संख्या महज 71 थी, वहीं 2023-24 में यह 421 पर पहुंच गई। यह देश में सर्वाधिक है।
MP में 909 परियोजनाओं के लिए सर्वाधिक 22 हजार 614 हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वन भूमि में बदला गया। राजस्थान में 274 परियोजनाओं के लिए 3869 हैक्टेयर और छत्तीसगढ़ में 41 परियोजनाओं के लिए 3229 हैक्टेयर वन भूमि पर मंजूरी दी गई है।
वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम 1980 के तहत राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्यों, बाघ अभयारण्यों, बाघ गलियारों जैसे वन क्षेत्र में विकास परियोजनाओं को मंजूरी की लंबी प्रक्रिया है। इस तरह के प्रस्ताव राज्य सरकार व राज्य वन्य जीव बोर्ड की अनुशंसा पर प्रस्ताव राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की स्थायी समिति (MCNBWL) को भेजे जाते हैं। एससीएनबीडब्ल्यूएल में शामिल पारिस्थितिकीविद, संरक्षणवादी और पर्यावरणविद प्रस्तावों पर विचार रखने के साथ निर्णय देते हैं।
वर्ष प्रस्तावों की संख्या
2019-20 71
2020-21 85
2021-22 154
2022-23 150
2023-24 421
राज्य स्वीकृत क्षेत्र (हेक्टेयर में)
मध्यप्रदेश 22614.74
ओडिशा 13621.95
अरुणाचल प्रदेश 8744.78
गुजरात 7402.97
उत्तर प्रदेश 6184.64
झारखंड 4303.64
राजस्थान 3869.63
उत्तराखंड 3323.48
छत्तीसगढ़ 3229.78
महाराष्ट्र 2713.60
वर्ष राशि
2019-20 3389.1
2020-21 4909.87
2021-22 896.31
2022-23 6149.85
2023-24 5205.12