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Gaganyaan Mission: इंसान नहीं महिला रोबोट को अंतरिक्ष भेजेगा ISRO, खोपड़ी का डिजाइन तैयार

Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन, जो कि भारत का मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने का पहला प्रयास है, अगले साल के लिए निर्धारित है। लेकिन उससे पहले दो मानवरहित तैयारी मिशन, गगनयान-1 (G1) और गगनयान-2 (G2) उड़ाए जाएंगे

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Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा इसरो गगनयान मिशन से पहले जिस महिला रोबोट व्योममित्र को अंतरिक्ष में भेजेगा, उसकी खोपड़ी का डिजाइन तैयार कर लिया गया है। इसका वजन 800 ग्राम है और माप 200 गुणा 220 मिमी है। यह खोपड़ी अंतरिक्ष में दबाव और कंपन को सहन करने के लिए उ‘च शक्ति वाले एल्युमिनियम मिश्र धातु से बनाई गई है। व्योममित्र असल में आधा ह्यूमनॉइड है। यह इंसान के शरीर के ऊपरी भाग जैसा होगा। जिसमें इंसानों जैसे हाथ, चेहरा और गर्दन भी होगी। व्योममित्र गगनयान मिशन में उड़ान भरने वाली अर्ध-मानव की तरह है। इसका ग्राउंड क्वालिफिकेशन परीक्षण पूरा हो चुका है। उड़ान प्रणाली का निर्माण हो चुका है और स्वीकृति परीक्षण अभी प्रगति पर है।

इसलिए व्योममित्र को पहले स्पेस में भेज रहा इसरो

व्योममित्र अंतरिक्ष यात्रियों की तरह काम करेगी। यह गगनयान के क्रू मॉड्यूल को पढ़ेगी और जरूरी निर्देशों को समझेगी। इसके साथ ही यह ग्राउंड स्टेशन में मौजूद वैज्ञानिकों और मिशन की टीम से सम्पर्क कर बात करेगी। इस मानवरहित मिशन के नतीजों से ही इंसानों के अंतरिक्ष में जाने का रास्ता खुलेगा। इसके पीछे का उद्देश्य मानव शरीर पर अंतरिक्ष यात्रा के प्रभावों पर महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करना है। इससे वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित और आरामदायक उड़ान के लिए अंतरिक्ष कैप्सूल को डिजाइन करने में मदद मिलेगी।

गगनयान मिशन, जो कि भारत का मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने का पहला प्रयास है, अगले साल के लिए निर्धारित है। लेकिन उससे पहले दो मानवरहित तैयारी मिशन, गगनयान-1 (G1) और गगनयान-2 (G2) उड़ाए जाएंगे, पहला इस साल के अंत में होगा। दिसंबर में लॉन्च होने वाला G1 मुख्य रूप से अंतरिक्ष यान के सुरक्षित पुनः प्रवेश और समुद्र में गोता लगाने पर उसके अभिविन्यास का परीक्षण करेगा। G2 मिशन व्योममित्र को मानव-रेटेड प्रेशराइज्ड क्रू मॉड्यूल के अंदर ले जाएगा, जहां अंतरिक्ष यात्री वास्तविक उड़ान में बैठे होंगे। रोबोट को उन सभी मापदंडों को रिकॉर्ड करने का काम सौंपा जाएगा जिनका उपयोग मनुष्यों पर उड़ान के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए किया जाएगा।

Published on:
27 Aug 2024 10:07 am
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