Harjit Kaur ICE Deportation: 73 वर्षीय सिख महिला हरजीत कौर को ICE ने अमेरिका से गिरफ्तार कर भारत वापस भेज दिया गया।
Harjit Kaur ICE Deportation: अमेरिका में करीब तीन दशकों से रह रहीं 73 वर्षीय हरजीत कौर (Harjeet Kaur) अमेरिकी आव्रजन एजेंसी ICE की ओर से गिरफ्तार कर भारत वापस भेज दी (Harjit Kaur ICE deportation) गईं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी और निर्वासन की पीड़ा मीडिया से शेयर की। उनका कहना है कि गिरफ्तारी के दौरान उनके साथ बहुत खराब व्यवहार हुआ। हरजीत कौर को 8 सितंबर को ICE ने गिरफ्तार किया गया। उनके अनुसार, गिरफ्तारी के बाद उन्हें कैलिफोर्निया के बेकर्स फील्ड हिरासत केंद्र ले जाया गया (Indian immigrant deported USA), जहां उन्होंने लगभग 8 से 10 दिन बिताए। इसके बाद उन्हें एरिज़ोना भेजा गया, जहां से उन्हें सीधे भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में उन्हें अपने परिवार और दोस्तों से मिलने का कोई मौका नहीं मिला।
हरजीत ने बताया कि हिरासत के दौरान उन्हें खाने के लिए केवल चिप्स और कुकीज जैसे अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ दिए गए। वह लगातार दर्द में थीं, क्योंकि दो घुटनों के प्रत्यारोपण के बाद भी उन्हें जमीन पर सोने के लिए मजबूर किया गया। 60 से 70 घंटे तक बिना बिस्तर के रहने के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ा। इसके अलावा, दवाइयां लेने के दौरान उन्हें ठंडे बर्फ का सामना करना पड़ा और कई बार खाने से मना भी किया गया।
हरजीत कौर ने 1991 में अपने दो छोटे बच्चों के साथ अमेरिका में शरण लेने की कोशिश की थी, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकृत हो गया। इसके बाद भी उन्होंने कई बार कानूनी रास्ते अपनाने की कोशिश की, लेकिन सभी अपीलें अदालतों में असफल रहीं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि जनवरी 2025 से अब तक 2,417 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से वापस भारत भेजा गया है। उन्होंने अवैध प्रवास के खिलाफ भारत की नीति को दोहराया और कहा कि भारत कानूनी प्रवास को बढ़ावा देता है। भारत ऐसे लोगों को वापस लेने के लिए तैयार रहता है जिनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि हो जाती है।
जायसवाल ने बताया कि भारत राष्ट्रीयता की जांच करता है और उचित दस्तावेज़ मिलने पर अवैध प्रवासी भारतीय नागरिकों को वापस लेता है। इस प्रक्रिया में अमेरिका के साथ सहयोग भी शामिल है। यह कदम दोनों देशों की आपसी सुरक्षा और प्रवासन नियमों का सम्मान सुनिश्चित करता है।
हरजीत ने अपनी आपबीती में कहा, "मेरे बच्चे कुछ करेंगे, मैं खुद कुछ नहीं कर सकती।" यह वाक्य उनके दिल के दर्द को बयां करता है कि कैसे वे अपने परिवार से दूर, अकेली इस कठिन समय का सामना कर रही हैं। तीन दशकों के बाद अपने देश लौटना उनके लिए एक बड़ा सदमा है।
बहरहाल हरजीत कौर की कहानी अमेरिका में अवैध प्रवासन के जटिल मुद्दे को सामने लाती है। यह घटना यह भी दिखाती है कि कैसे प्रवासन नियम और कानूनी प्रक्रियाएं आम लोगों के जीवन पर गहरा असर डालती हैं। भारत और अमेरिका दोनों देशों की सरकारें इस मामले में कड़े नियम लागू कर रही हैं, लेकिन इससे प्रभावित परिवारों की समस्याएं भी उजागर हो रही हैं। एएनआई