Jammu Kashmir Elections: जम्मू-कश्मीर में पहले चरण के चुनाव से पहले तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम ने राजनीतिक दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। पढ़िए दौलत सिंह चौहान की विशेष रिपोर्ट...
Jammu Kashmir Elections: जम्मू-कश्मीर में पहले चरण के चुनाव से पहले तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम ने राजनीतिक दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। पहले से जहां जमात-ए-इस्लामी की पर्दे के पीछे रह कर घाटी के कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन की खबरों ने खास कर नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी की नींद उड़ा रखी थी वहीं अब जेल में बंद बारामुला के निर्दलीय सांसद इंजीनियर शेख अब्दुल राशिद के अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद के तेवरों ने भाजपा को भी अचरज में डाल दिया है। ऐसे में बड़ा सवाल उभर कर सामने आया है कि नतीजों के बाद राज्य में सरकार के गठन को लेकर क्या समीकरण बनेंगे। 45 साल के बाद डोडा में किसी प्रधानमंत्री का दौरा होगा।
एनसी, कांग्रेस और पीडीपी इंजीनियर राशिद की भाजपा से साठगांठ का आरोप पहले से लगा रहे थे। चुनाव से ऐन पहले उनकी जेल से रिहाई ने इनकी आशंका को सही साबित कर दिया। हालांकि इंजीनियर राशिद ने रिहाई के बाद बारामुला पहुंच कर रैली में जो भाषण दिया, उससे भाजपा आलाकमान भी आश्चर्य में है। राशिद ने अपने भाषण में न केवल प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बल्कि इंडिया गठबंधन को भी निशाने पर ले लिया। इंजीनयिर राशिद ने यह कह कर इंडिया गठबंधन के लिए भी परेशानी खड़ी कर दी है कि इंडिया अलायंस घोषणा कर दे कि केंद्र में अलायंस की सरकार आने पर कश्मीर में धारा 370 बहाल कर दी जाएगी तो वे अपने सारे वोट इंडिया अलायंस के प्रत्याशियों को दिलवा देंगे। ऐसे में राजनीतिक हालात चुनाव नजदीक आने के साथ ही और उलझते दिखाई पड़ रहे हैं। दरअसल आठ सीटों के नतीजे सरकार के गठन में खासे अहम साबित होने वाले हैं। जम्मू रीजन की इन आठ सीटों में से 5 डोडा पश्चिम, रामबन, किश्तवाड़, पड्डेर नागसनी और इंदरवाल पर कांग्रेस-एनसी गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी हैं, जबकि 3 डोडा, भदरवाह और बनिहाल में दोनों फ्रेंडली फाइट में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को जम्मू रीजन के डोडा शहर में चुनावी रैली करने वाले हैं। इस सभा में वे क्या घोषणा करने वाले हैं इसको लेकर लोगों में बड़ी उत्सुकता है। दरअसल चुनाव के पहले चरण जम्मू की जिन आठ सीटों पर 18 सितंबर को मतदान होने वाला है, डोडा, उनका केंद्र बिंदू है। भाजपा का पूरा फोकस जम्मू रीजन में अपनी सीटों की संख्या 25 से बढ़ा कर कम से कम 35 करने पर है। ऐसे में डोडा, किश्तवाड़, भदरवाह आदि पहाड़ी सीटें उसके लिए खासी अहम हैं। पीएम की सभा डोडा में रणनीति के तहत बुलाई गई है। कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच होने वाली इस रैली में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
कश्मीर की जनता को इस चुनाव से बड़ी उम्मीदें हैं और जिस तरह के हालात बन रहे हैं उसमें परिणामों की घोषणा के बाद राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति बनी तो घाटी में एक बार फिर से निराशा फैल सकती है। लोगों का कहना है कि पिछली बार 1987 के चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली के चलते ही राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हुई थी। जमात-ए-इस्लामी समेत कई संगठनों ने जो चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा ले रहे थे, वे इससे अलग हो गए और कट्टरपंथियों के इशारे पर लगातार चुनाव बहिष्कार के आह्वान किए गए। पूरे 37 साल बाद पहला मौका आया है जब चुनाव में कोई बायकाट का आह्वान नहीं है और हर तबका पूरे जोश-ओ-खरोश से मतदान के लिए तैयार है। लोगों को उम्मीद है कि इस चुनाव के बाद कश्मीर को आवाज मिलेगी और कश्मीर के आंगन में नया सूरज उगेगा।