कर्नाटक के बेलगावी जिले के हलगा गांव में बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान बढ़ाने और परिवारिक संवाद को मजबूत करने के लिए ग्राम पंचायत ने अनूठा कदम उठाया है। पंचायत ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि हर दिन शाम 7 से 9 बजे ‘स्क्रीन ब्लैकआउट’ लागू रहेगा, जिसमें सभी टीवी, मोबाइल और डिजिटल स्क्रीन बंद रखी जाएंगी।
बच्चों को मोबाइल की लत दूर करने, पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कराने और परिवार के सदस्यों के बीच संवाद बढ़ाने के उद्देश्य से कर्नाटक के बेलगावी जिले के हलगा गांव में ग्राम पंचायत ने अनूठा निर्णय लिया है। पंचायत ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर गांववासियों से अपील की है कि बच्चों की पढ़ाई के समय टीवी, मोबाइल फोन और अन्य सभी डिजिटल स्क्रीन बंद रखी जाए। गांव में प्रतिदिन शाम 7 से 9 बजे ‘स्क्रीन ब्लैकआउट’ रहता है। हर शाम 7 बजे सायरन बजाकर संकेत दिया जाता है, ताकि तय समय पर सभी स्क्रीन बंद कर सकें और छात्रों को शांत व अनुकूल अध्ययन वातावरण मिल सके।
पंचायत सदस्यों के अनुसार यह पहल महाराष्ट्र के सांगली जिले के पास स्थित अग्रण धुल गांव के सफल प्रयोग से प्रेरित है, जहां स्क्रीन बंद रखने के सामूहिक निर्णय से छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार देखा गया था।
ग्राम पंचायत सदस्य और स्थानीय शिक्षक घर-घर जाकर अभिभावकों को इस पहल का महत्व समझाते हैं। उनसे अनुरोध किया जा रहा है कि इस दो घंटे की अवधि में बच्चों के साथ समय बिताएं और उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करें। पंचायत के अनुसार यह केवल नियम नहीं, बल्कि सामाजिक सहयोग पर आधारित अभियान है। पूरे गांव के सहयोग से बच्चों को बेहतर शैक्षणिक माहौल मिलेगा और पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ेगी। प्रयोग सफल रहा, तो बेलगावी जिले के अन्य गांवों में भी लागू किया जाएगा।
हलगा गांव में 1,452 घर हैं। ग्राम पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी गजपति ने बताया कि गांववासियों से मोबाइल फोन और टीवी का उपयोग बंद करने का अनुरोध किया गया था, जिसे सभी ने स्वीकार किया है। गांव के निंगप्पा कलिंगा ने कहा कि बच्चों में पढ़ने की आदत विकसित करने और परिवार में आपसी बातचीत बढ़ाने के लिए वे इस फैसले का समर्थन करते हैं।