Navratri 2025 Significance: नवरात्रि का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। इसे नवरात्रि, नवरात्रा और नवरात्र भी कहते हैं। इस दौरान लोग व्रत उपवास और दान पुण्य भी करते हैं।
Navratri 2025 Significance: नवरात्रि की हर तरफ धूम नजर आ रही है, यह सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, आत्मबल और ऊर्जा के जागरण का समय है। नवरात्रि (Navratri 2025) एक ऐसा पर्व है जो आत्मा को शुद्ध करने और जीवन में ऊर्जा भरने का कार्य करता है। यह केवल देवी की पूजा नहीं, बल्कि अपने अंदर की शक्ति को पहचानने का अवसर है। नौ दिन तक मां के नौ रूपों की आराधना (9 Goddesses of Navratri) करते हुए हम जीवन के हर पहलू साहस, धैर्य, सेवा, न्याय और ज्ञान को समझते हैं। यह पर्व मानसिक, शारीरिक और आत्मिक संतुलन लाने में मदद करता है। उपवास, ध्यान और साधना से व्यक्ति खुद को भीतर से मजबूत करता है। मां (Spiritual meaning of Navratri) के हर स्वरूप से हमें एक दिशा मिलती है कि किस प्रकार जीवन में संतुलन और सकारात्मकता बनाए रखें। देवी दुर्गा को शक्ति, भक्ति और मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि नवरात्रि को "शक्ति पर्व" के रूप में पूरे भारत में विशेष श्रद्धा से मनाया जाता है। इसके नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। हर देवी का एक विशेष स्वरूप और जीवन से जुड़ा गहरा संदेश होता है।
नवरात्रि की शुरुआत मां शैलपुत्री की पूजा से होती है। वह पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल होता है। घोड़े की सवारी करती मां शैलपुत्री हमें आत्मबल, स्थिरता और नई यात्रा की शुरुआत में आत्मविश्वास रखने का संदेश देती हैं।
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। उनके हाथ में जप माला और कमंडल होता है। ये स्वरूप तप, धैर्य और अनुशासन का प्रतीक है। यह दिन सिखाता है कि कठिन समय में भी संयम और साधना ही मार्गदर्शक होते हैं।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप अर्धचंद्र के साथ है और उनके दस हाथ होते हैं। यह दिन जीवन में साहस, निडरता और आत्मरक्षा के महत्व को बताता है। उनका संदेश है — डर से नहीं, हिम्मत से जियो।
मां कूष्मांडा के नाम का अर्थ है — "ऊर्जा से ब्रह्मांड की रचना करने वाली"। मटका उनके हाथ में है जो सृजन का प्रतीक है। यह दिन प्रेरित करता है कि अपनी ऊर्जा को रचनात्मक कार्यों में लगाकर हम जीवन में नई शुरुआत कर सकते हैं।
मां स्कंदमाता अपने पुत्र कार्तिकेय को गोद में लिए हुए होती हैं। यह रूप मातृत्व, प्रेम और सेवा की शक्ति को दर्शाता है। यह दिन बताता है कि ममता और सेवा में अपार शक्ति होती है।
मां कात्यायनी का रूप शक्ति और न्याय का प्रतीक है। वह सिंह पर सवार हैं और युद्ध मुद्रा में होती हैं। यह दिन प्रेरित करता है कि अन्याय के खिलाफ हमेशा डटकर खड़ा होना चाहिए।
मां कालरात्रि अंधकार में प्रकाश की उम्मीद हैं। उनका विकराल रूप बताता है कि अज्ञान, डर और नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए भी शक्ति चाहिए। वह बुराई की विनाशक हैं।
मां महागौरी अत्यंत सुंदर, श्वेत वस्त्रों में, बैल पर सवार रहती हैं। यह रूप आत्मशुद्धि, सौंदर्य, शांति और करुणा का प्रतीक है। यह दिन हमें आत्मचिंतन और अंतर्मन की शांति का महत्व बताता है।
मां सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और सभी सिद्धियों की दात्री हैं। उनका स्वरूप यह संदेश देता है कि जब हम पूर्ण समर्पण के साथ आगे बढ़ते हैं, तो सफलता स्वयं मिलने लगती है।
मार्कण्डेय पुराण: देवी महात्म्य में मां दुर्गा के 9 रूपों की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है।
देवी भागवत पुराण: नवरात्रि को आत्मशुद्धि और शक्ति उपासना का सर्वोत्तम काल बताया गया है।
कालिका पुराण: इस ग्रंथ में मां के विभिन्न स्वरूपों की आराधना के लाभ बताए गए हैं।
शिव पुराण: देवी की पूजा को मोक्ष प्राप्ति और शक्ति जागरण का माध्यम माना गया है।
रामायण: श्रीराम ने रावण से युद्ध से पहले शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा की थी।
महाभारत: अर्जुन ने युद्ध से पहले मां दुर्गा का आह्वान कर विजय का आशीर्वाद प्राप्त किया।
स्कंद पुराण: मां दुर्गा को सृष्टि की आदि शक्ति कहा गया है, जिनकी उपासना से शक्ति प्राप्त होती है।
ललिता सहस्रनाम: देवी के सहस्र नामों में शक्ति, करुणा और ज्ञान के सभी रूप समाहित हैं।
बहरहाल नवरात्रि के नौ दिन हमें हर रूप में जीवन की एक नई सीख देते हैं— आत्मबल, संयम, साहस, सृजन, सेवा, न्याय, अज्ञान का विनाश, शांति और सफलता। हर व्यक्ति के अंदर शक्ति है, बस उसे जागरूक करने की जरूरत है। (इनपुट: आईएएनएस.)