Supreme court: एससी का यह निर्देश तब आया जब कोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा के सुझाव को स्वीकार कर लिया।
Supreme court: देश के किसी भी राज्य की पुलिस अब आरोपी को व्हाट्सएप्प या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से नोटिस नहीं भेज सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के इस कदम पर रोक लगा दी है। SC ने कहा कि पुलिस दंड प्रक्रिया संहिता या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के तहत व्हाट्सएप्प या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का प्रयोग कर आरोपी को नोटिस नहीं दे सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे पुलिस को सीआरपीसी, 1973 की धारा 41ए या बीएनएसएस, 2023 की धारा 35 के तहत कानून के तहत अनुमत सेवा के माध्यम से ही नोटिस जारी करने के लिए उचित निर्देश जारी करें।
बता दें कि एससी का यह निर्देश तब आया जब कोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा के सुझाव को स्वीकार कर लिया। अधिवक्ता लूथरा ने ऐसे मामलों का उल्लेख किया जहां पर आरोपी को नोटिस भेजने के लिए व्हाट्सएप्प का इस्तेमाल किया था। लेकिन आरोपी जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा कि पुलिस तंत्र को सामान्य सेवा पद्धति का पालन करने के बजाय व्हाट्सएप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से नोटिस जारी करके सीआरपीसी, 1973 की धारा 41-ए या बीएनएसएस, 2023 की धारा 35 के आदेश की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। कोर्ट ने सतेन्द्र कुमार अंतिल के मामले में यह निर्देश पारित किया।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश जारी किया है। पीठ ने कहा कि वे अपनी-अपनी समितियों की बैठक आयोजित करें, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि उनके पिछले और वर्तमान फैसलों का पालन हर महीने सभी स्तरों पर किया जाए और संबंधित अधिकारियों द्वारा हर महीने अनुपालन रिपोर्ट पेश की जाएं। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते के अंदर अनुपालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।