कर्नाटक सरकार ने सरकारी बैठकों और कार्यक्रमों में प्लास्टिक बोतल के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है, और पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों जैसे स्टील या पेपर ग्लास के इस्तेमाल को अनिवार्य किया है।
कर्नाटक की सिद्धारमैया (Siddaramaiah) सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य के सभी सरकारी कार्यक्रम, आधिकारिक बैठकों में प्लास्टिक बोतल वॉटरों के उपयोग पर बैन लगा दिया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 31 अक्टूबर को जारी विज्ञप्ति के तहत सभी स्थानों पर प्लास्टिक बोतलों के पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों जैसे स्टील या पेपर ग्लास का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश राज्य में प्लास्टिक के बढ़ते खतरे को कम करने और स्वास्थ्य तथा रक्षा करने के उद्देश्य से लिया गया है। सिद्धारमैया ने कहा, "पहले भी सरकारी पर्यावरण और पर्यावरण अनुकूल सामग्री के उपयोग के निर्देश सरकारी बैठकों और आधिकारिक बैठकों में प्लास्टिक वॉटर बोतलों के उपयोग के निर्देश जारी किए गए थे। इसके अलावा, सभी सरकारी कार्यक्रमों और बैठकों में चॉकलेट फेडरेशन (KMF) की 'नंदिनी' मशालों का अनिवार्य उपयोग करने का भी आदेश दिया गया है, जो स्थानीय कंपनियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ सस्टेनेबल प्रैक्टिस को मजबूत करने की इच्छा रखता है।
यह कदम कर्नाटक सरकार की व्यापक 'ग्रीन पुश' पहल का हिस्सा है, जिसके तहत राज्य में सिंगल-यूज प्लास्टिक को पूरी तरह से हटाने की दिशा में प्रयास तेज किया जा रहा है। विशेषज्ञ का मानना है कि यह निर्णय केवल प्लास्टिक प्रदूषण को कम नहीं करेगा, बल्कि सरकारी विज्ञापन को अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाने में सहायता प्रदान करेगा।
हालाँकि, 2016 में राज्य में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन वॉटर बोतलों को छूट दे दी गई थी। अब इस नये आदेश से उसकी छूट भी ख़त्म हो गयी है। सरकार ने सभी विभाग प्रमुखों को सक्रिय प्रभाव से इस निर्देश का पालन करने और उल्लंघन पर कार्रवाई करने के लिए कहा है।