सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जम्मू सेक्टर में घुसपैठ रोकने के लिए तैयार है। बीएसएफ के महानिरीक्षक शशांक आनंद ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने मई में ऑपरेशन सिंदूर में नुकसान झेला था, लेकिन अब वे पुनर्गठित हो रहे हैं।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने कहा है कि वह कोहरे की आड़ में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी समूहों द्वारा जम्मू सेक्टर में घुसपैठ के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए पूरी तरह तैयार है।
जम्मू फ्रंटियर के महानिरीक्षक शशांक आनंद ने बताया कि मई में ऑपरेशन सिंदूर में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने भारी नुकसान झेला था लेकिन अब वे पुनर्गठित हो रहे हैं।
सर्दियों में कोहरा बड़ी चुनौती होगी, इसलिए जवान फुल अलर्ट पर हैं और सीमाई सतर्कता बढ़ाई जा रही है। बीएसएफ अपनी सहयोगी एजेंसियों के साथ खुफिया जानकारी साझा कर सीमापार से होने वाले प्रयासों को विफल कर रही रहा है। आनंद ने चेतावनी दी कि घुसपैठ की कोई भी कोशिश सफल नहीं होने दी जाएगी।
आनंद ने चेतावनी दी, पाकिस्तान के साथ युद्धविराम समझौता लागू है, अगर आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश की जाती है, तो हम चुप नहीं रहेंगे। सरकार ने हमें गोली का जवाब गोले से देने की पूरी छूट दी है और हमारे जवान इस बात से वाकिफ हैं।
कुछ दिनों पहले आईजी शशांक आनंद ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद बीएसएफ की रणनीतिक प्रगति पर भी प्रकाश डाला था। उन्होंने बताया कि बीएसएफ ने रक्षा और अर्धसैनिक बलों में आधुनिक तकनीक को अपनाने की प्रक्रिया को तेज की है।
ग्वालियर स्थित बीएसएफ अकादमी में ड्रोन युद्ध के लिए एक स्कूल का उद्घाटन किया गया है। इसके साथ ही, बीएसएफ बटालियनों को ड्रोन स्क्वाड्रन और ड्रोन कमांडो के साथ प्रशिक्षित किया जा रहा है। हम दुश्मन को ऐसी तकनीक से नुकसान पहुंचाने में सक्षम होंगे, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी।
आईजी शशांक आनंद ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान बीएसएफ ने तस्वीरों और वीडियो के जरिए साबित किया कि जब पड़ोसी देश (पाकिस्तान) ने कार्रवाई की हिम्मत की, तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के बाद से पड़ोसी देश नुकसान की भरपाई की कोशिश में लगा है, लेकिन हम उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। हाल ही में तूफानों के कारण भी उन्हें नुकसान हुआ है, और बीएसएफ सीमा पार उनकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी बनाए हुए है।
उन्होंने कहा कि बीएसएफ किसी भी उभरती प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए तैयार है। ड्रोन, जो लंबे समय से बीएसएफ का हिस्सा हैं, अब 21वीं सदी के युद्ध में अगले स्तर पर उपयोग के लिए तैयार किए जा रहे हैं। ग्वालियर में स्थापित ड्रोन युद्ध विद्यालय बीएसएफ कर्मियों और अधिकारियों को आधुनिक तकनीक से लैस करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।