शोधकर्ताओं ने ओमान, पश्चिमी भारत और साइबेरिया की प्राचीन चट्टानों का अध्ययन किया। सभी जगह उन्हें एक जैसे रासायनिक संकेत मिले। यह साबित करता है कि शुरुआती स्पंज केवल किसी एक जगह नहीं, बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद थे।
अमरीकी संस्थान एमआइटी के वैज्ञानिकों ने नई खोज से यह साफ किया है कि शुरुआती जानवर डायनासोर या कोई दूसरे अजीब जीवन नहीं थे, बल्कि सबसे पहले धरती पर आए थे आज के समुद्री स्पंज के प्राचीन पूर्वज। ये बेहद मुलायम शरीर वाले जीव थे जो समुद्र में रहते थे। इनकी पहचान केमिकल जीवाश्म से हुई। ये ऐसे अणु होते हैं जो किसी समय इन जीवों के शरीर का हिस्सा थे और बाद में चट्टानों में हमेशा के लिए कैद हो गए। टीम ने प्राचीन चट्टानों में स्टेरेन्स नाम के रसायन खोजे। ये केवल डेमोस्पंज नामक स्पंज समूह से ही बनते हैं। इनकी उम्र 54 करोड़ साल से भी ज्यादा है।
शोधकर्ताओं ने ओमान, पश्चिमी भारत और साइबेरिया की प्राचीन चट्टानों का अध्ययन किया। सभी जगह उन्हें एक जैसे रासायनिक संकेत मिले। यह साबित करता है कि शुरुआती स्पंज केवल किसी एक जगह नहीं, बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद थे।
सच्चाई यह है कि डायनासोर स्पंज के करोड़ों साल बाद आए। शुरुआती स्पंज बेहद साधारण थे। न हड्डियां थीं, न आंखें, न ही तंत्रिका तंत्र। वे केवल समुद्र का पानी छानकर भोजन करते थे। लेकिन इन्हीं साधारण जीवों ने आगे चलकर जटिल जीवन की नींव रखी।
वैज्ञानिकों के सामने चुनौती यह थी कि यह साबित करें कि रासायनिक अणु असल में स्पंज जीवों से आए हैं, न कि चट्टानों की किसी रासायनिक क्रिया से। इसके लिए उन्होंने प्रयोगशाला में वैसी ही परिस्थितियां दोहराईं और पाया कि यह अणु केवल जीवों से ही बन सकते हैं।