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गुजरात में लागू होगा UCC, पांच सदस्यीय समिति का गठन, उत्तराखंड की तर्ज पर Live-in, कपल्स, बाल विवाह और तीन तलाक के बदल जाएंगे राज्य में नियम

Gujarat UCC: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला पहला राज्य है। गुजरात सीएम भूपेंद्र पटेल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, "समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का मसौदा तैयार करने और कानून बनाने के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति गठित की गई है।'

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Feb 04, 2025
Gujarat CM Bhupendra Singh

Gujarat UCC: गुजरात सरकार ने मंगलवार को घोषणा की कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का मसौदा तैयार करने और कानून बनाने के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति गठित की गई है। सीएम भूपेंद्र पटेल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, "समान नागरिक संहिता (UCC) का मसौदा तैयार करने और कानून बनाने के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी, जिसके आधार पर सरकार फैसला लेगी।"

अनुच्छेद 370, तीन तलाक और एक राष्ट्र एक चुनाव के वादे किए जा रहे पूरे

गुजरात के मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि भारत का संविधान नागरिकों के कर्तव्यों को पूरा करने के लिए है। पटेल ने कहा, "पीएम मोदी के नेतृत्व में, इस साल हम संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। उनका लक्ष्य पूरे देश में समान नागरिक संहिता को लागू करना है ताकि सभी को समान अधिकार मिलें।" अनुच्छेद 370 (Article 370) को निरस्त करने और तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने का हवाला देते हुए पटेल ने कहा, "अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, एक राष्ट्र एक चुनाव (One Nation One Elections) और तीन तलाक (Triple Talak) को लेकर किए गए वादे पूरे किए जा रहे हैं।"

समिति में ये लोग शामिल

गुजरात के सीएम ने कहा, "इसी दिशा में गुजरात मोदी जी के संकल्प को पूरा करने के लिए लगातार काम कर रहा है। सरकार सभी के लिए समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है।" गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि रिपोर्ट तैयार करने में सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। संघवी ने कहा, 'गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने UCC (समान नागरिक संहिता) समिति का गठन किया है। इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई करेंगी, सेवानिवृत्त वरिष्ठ IAS अधिकारी सीएल मीना, अधिवक्ता आरसी कोडेकर, पूर्व कुलपति दक्षेश ठाकर और सामाजिक कार्यकर्ता गीता श्रॉफ भी इस समिति का हिस्सा होंगी। मुख्यमंत्री ने इस समिति को अगले 45 दिनों में इस पर विस्तृत शोध करने और सरकार को एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है,"

UCC लागू करने वाला पहला राज्य उत्तराखंड

इस महीने की शुरुआत में उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला पहला राज्य बन गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने भाषण में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता का जिक्र किया था। पीएम मोदी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार कहा है कि UCC को देश में लाया जाना चाहिए। संविधान और संविधान निर्माताओं की भावना को ध्यान में रखते हुए हम धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के लिए पूरी ताकत से काम कर रहे हैं।"

उत्तराखंड में UCC लागू होने पर बदले ये नियम

उत्तराखंड UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया। उत्तराखंड में UCC लागू होने पर जो नियम बदले गए ऐसा माना जा रहा है कि गुजरात में भी यह सभी नियम लागू होंगे। उत्तराखंड में UCC लागू होने पर ये नियम आए हैं- राज्य में शादी और लिव-इन के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। शादी की उम्र लड़कियों के लिए न्यूनतम 18 एवं लडक़ों के लिए 21 तय की गई है, चाहे वे किसी भी धर्म से ताल्लुक रखते हों। UCC लागू होने के बाद पूरे राज्य में किसी भी धर्म के लोग एक से अधिक विवाह नहीं कर सकेंगे। बहुविवाह पर रोक लगा दी गई है। आइए देखते हैं लिस्ट

  • - कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का - अधिकार होगा।
  • - सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक कानून
  • - 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • - पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
  • - पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
  • - विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
  • - महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
  • - हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
  • - ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा।
  • - एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
  • - पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
  • - संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर के अधिकार होंगे।
  • - जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
  • - नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना जाएगा।
  • - गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
  • - किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
  • - कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
  • - लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
  • - कपल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या PG ले सकेंगे।
  • - लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
  • - लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
Updated on:
04 Feb 2025 03:20 pm
Published on:
04 Feb 2025 02:14 pm
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