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उन्नाव रेप केस: दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर सवाल, कुलदीप सेंगर की जमानत को CBI ने दी चुनौती

Unnao Rape Case: दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा कुलदीप सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर जमानत देने के फैसले को CBI सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।

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Dec 25, 2025
उन्नाव रेप केस (ANI)

2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में दोषी पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने और जमानत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। CBI ने बुधवार को घोषणा की कि वह जल्द से जल्द विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल करेगी।

15 लाख रुपये के मुचलके पर दी जमानत

दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने मंगलवार (23 दिसंबर) को सेंगर की अपील लंबित रहने तक उनकी सजा निलंबित कर दी और 15 लाख रुपये के बॉन्ड पर जमानत दे दी। कोर्ट ने शर्तें लगाईं कि सेंगर पीड़िता के दिल्ली स्थित निवास से 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं आएंगे और पीड़िता या उनकी मां को धमकी नहीं देंगे। हालांकि, सेंगर जेल में ही रहेंगे क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के अलग मामले में 10 साल की सजा काट रहे हैं और उसमें जमानत नहीं मिली है।

CBI प्रवक्ता के बयान

एजेंसी ने हाई कोर्ट के आदेश का अध्ययन किया है और सजा निलंबन व जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल करने का फैसला किया है। CBI ने हाई कोर्ट में समय पर जवाब और दलीलें दाखिल की थीं, जबकि पीड़िता के परिवार ने सुरक्षा का हवाला देकर जमानत का विरोध किया था।

पीड़िता की मां ने राहुल गांधी से मांगी मदद

इस फैसले के बाद पीड़िता और उनकी मां ने दिल्ली में प्रदर्शन किया, जहां कथित तौर पर सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें धक्का दिया, जिसकी व्यापक आलोचना हुई। पीड़िता ने हाई कोर्ट के फैसले को "काल (मृत्यु) से कम नहीं" बताया और कहा कि वह भी सुप्रीम कोर्ट जाएंगी। उन्होंने कहा, "ऐसे मामले में अगर दोषी को जमानत मिल जाए, तो देश की बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी?" पीड़िता और उनकी मां ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी व कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से मुलाकात की और कानूनी मदद मांगी। उन्होंने शीर्ष वकील की सहायता और कांग्रेस शासित राज्य में स्थानांतरण की मांग की, जान को खतरा बताते हुए।

क्या है पूरा मामला?

जून 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में नाबालिग पीड़िता का अपहरण कर सेंगर ने बलात्कार किया था। दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें IPC की धारा 376 और POCSO एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई। मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2019 में उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर हुआ था।

Updated on:
25 Dec 2025 12:03 pm
Published on:
25 Dec 2025 11:51 am
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