कांग्रेस नेता का कहना है कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच की औसत सैलरी करीब 1.30 करोड़ रुपए थी, लेकिन उनकी पेंशन का औसत 2.77 करोड़ रुपए है।
कांग्रेस ने आईसीआईसीआई बैंक के सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच का बचाव करने पर फिर पलटवार किया है। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने मंगलवार को कहा कि ऐसी कौनसी नौकरी है, जहां वेतन से ज्यादा पेंशन मिली है। पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता में खेड़ा ने आईसीआईसी बैंक से पूछा है कि जिस तरह की सहूलियत बुच को दी गई है, क्या इस तरह का लाभ बैंक के दूसरे कर्मचारियों को भी मिलता है?
उन्होंने कहा कि जब बुच बैंक से रिटायर हुईं तो 2013-14 में उन्हें 71.90 लाख रुपए की ग्रेच्युटी मिली और 2014-15 में उन्हें 5.36 करोड़ रुपए रिटायरमेंट कम्यूटेड पेंशन मिली। उन्हें 2015-16 में बैंक से कुछ नहीं मिला तो 2016-17 में पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई। अगर 2007-2008 से 2013-14 तक की बुच की औसत सैलरी करीब 1.30 करोड़ रुपए थी, लेकिन उनकी पेंशन का औसत 2.77 करोड़ रुपए है। ऐसी कौन-सी नौकरी है, जिसमें सैलरी से ज्यादा पेंशन है। खेड़ा ने उम्मीद जताई कि बुच इनका जवाब देंगी।
कांग्रेस नेता ने आईसीआईसीआई के इस स्पष्टीकरण का विरोध किया कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों सहित कर्मचारियों के पास निहित होने के दस साल बाद तक ईएसओपी का उपयोग करने का विकल्प था। आईसीआईसीआई की सार्वजनिक रूप से बताई गई ईएसओपी नीति का हवाला देते हुए, जो पूर्व कर्मचारियों को समाप्ति के बाद अधिकतम तीन महीने के भीतर अपने विकल्पों का उपयोग करने की अनुमति देती है, खेड़ा ने पूछा, "वह 'संशोधित नीति' कहाँ है जिसके तहत सुश्री माधबी पी. बुच अपनी स्वैच्छिक समाप्ति के 8 साल बाद ईएसओपी का उपयोग करने में सक्षम थीं?"