World Television Day: 19वीं सदी के अंत में अपनी शुरुआत के बाद से सीमित चैनलों वाले एक 'बुद्धू बक्से' से लेकर अनगिनत स्ट्रीमिंग विकल्पों के साथ एक हाई-डेफिनिशन स्क्रीन तक, टेलीविजन एक पसंदीदा शगल बना हुआ है।
World Television Day: 19वीं सदी के अंत में अपनी शुरुआत के बाद से सीमित चैनलों वाले एक 'बुद्धू बक्से' से लेकर अनगिनत स्ट्रीमिंग विकल्पों के साथ एक हाई-डेफिनिशन स्क्रीन तक, टेलीविजन एक पसंदीदा शगल बना हुआ है। केबल टेलीविजन के आगमन ने चैनल विकल्पों का विस्तार किया, विशिष्ट प्रोग्रामिंग और विशेष नेटवर्क पेश किए। 2000 के दशक में नेटफ्लिक्स, हुलु और अमेजन प्राइम से लेकर डिजनी जैसे प्लेटफॉर्म ने स्ट्रीमिंग क्रांति ला दी है। आज, टीवी से लेकर स्मार्टफोन व टैबलेट तक विभिन्न उपकरणों पर कंटेंट का उपभोग पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। हालांकि, डिजिटल मीडिया के अत्याधिक उपभोग को लेकर चिंता भी बढ़ी है।
स्ट्रीमिंग मीडिया सर्विस: स्ट्रीमिंग सेवाओं ने पारंपरिक टीवी मॉडल को ऑन-डिमांड व्यूइंग, पर्सनल चॉइस और यूजर के अनुकूल स्पेशल कंटेंट का रास्ता दिया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): एआइ से वॉयस कंट्रोल, कंटेंट क्यूरेशन और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स जैसी सुविधाएं मिल रही हैं। टीवी दर्शकों की जरूरत भांपकर प्रोग्राम दे रहे हैं।
डिस्प्ले तकनीक: ओएलईडी (ऑर्गेनिक लाइट-एमिटिंग डायोड) स्क्रीन लुभावने दृश्य दे रही हैं, जबकि माइक्रोएलईडी डिस्प्ले से और चमक और रंगों की सटीकता का दावा है।
5जी नेटवर्क की तेजी: निर्बाध स्ट्रीमिंग व बढ़ी हुई इंटरैक्टिव क्षमताएं। वर्चुअल रियलिटी (वीआर) और ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) भी टीवी एक्सपीरियंस में आ रही है।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी): यह टीवी को स्मार्ट होम डिवाइस, वियरेबल्स और मोबाइल ऐप से जोड़ता है। क्लाउड गेमिंग हार्डवेयर के बिना हाईक्वॉलिटी वाले कंटेंट तक पहुंच दे रहा है।
वॉयस अस्टिेंट: एलेक्सा, गूगल असिस्टेंट और सिरी जैसे वॉयस असिस्टेंट टीवी इंटरफेस को बदल रहा है, जिससे यह अधिक संवादात्मक और सहज हो गया है।
जहां टीवी दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है, जो दुनिया भर में अरबों लोगों को मनोरंजन, शिक्षा और जानकारी प्रदान करता है। वहीं, बढ़ता स्क्रीन टाइम भी चिंता का विषय बन रहा है। हाल में स्वीडन स्वीडिश पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी ने दो साल से कम उम्र के बच्चों को टीवी सहित किसी भी डिजिटल स्क्रीन के संपर्क से दूर रखने के दिशा-निर्देश जारी किए। दो से पांच साल की उम्र के बच्चों को एक घंटे व छह से 12 साल के बच्चों को दो घंटे स्क्रीन टाइम तक सीमित रखा गया। इसी के साथ स्वीडन अमरीका, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस व भारत सहित उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो बच्चों को डिजिटल स्क्रीन से दूर रखना चाहते हैं।
6 घंटे 40 मिनट औसतन रोज स्क्रीन पर बिताते हैं दुनिया भर में 16 से 64 साल के लोग
10 घंटे 46 मिनट का स्क्रीन टाइम दक्षिण अफ्रीका के लोगों का है
7 घंटे 3 मिनट है औसत अमरीकी का रोज का स्क्रीन टाइम
2013 से प्रतिदिन स्क्रीन टाइम में 30 मिनट से अधिक की वृद्धि हुई है
0-2 वर्ष की आयु के लगभग आधे (49%) बच्चे स्मार्टफ़ोन से इंटरैक्ट करते हैं।