नई दिल्ली

Delhi Court: दोषी ने बार-बार अपनी हवस बुझाई…नाबालिग पड़ोसी को गर्भवती बनाने के मामले में कोर्ट ने सुनाई सजा

Delhi Court: कोर्ट ने बार-बार दुष्कर्म कर 15 साल की किशोरी को गर्भवती बनाने के दोषी पड़ोसी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस दौरान कोर्ट ने कहा "पीड़िता आरोपी को चाचा कहती थी, लेकिन दोषी ने पीड़िता को अकेला पाकर बार-बार अपनी हवस बुझाई।

2 min read

Delhi Court: दिल्ली की एक अदालत ने 15 साल की किशोरी से रेप करने में उसके पड़ोसी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। पड़ोस में रहने वाले युवक के बार-बार दुष्कर्म करने से किशोरी गर्भवती हो गई थी। कोर्ट ने दुष्कर्म से पैदा हुए बच्चे को एक एजेंसी के हवाले किया है। इस दौरान सत्र न्यायाधीश ने कहा "पीड़िता दुष्कर्म के दोषी को चाचा कहती थी। वह दोषी के पड़ोसी की बेटी थी। हमारी भारतीय संस्कृति में जब माता-पिता कहीं जाते हैं, तो वे अपने पड़ोसियों से अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए कहते हैं। दोषी ने उस भरोसे को तोड़ा और विश्वासघात किया, जिससे अपराध और भी गंभीर हो गया।"

दो साल पहले पड़ोसी ने भरोसे का फायदा उठाकर किया था रेप

घटना साल 2023 की है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया ने कहा "विश्वास तोड़ने वाले इस अपराध के लिए कड़ी सजा मिलनी चाहिए। पड़ोसी अपनी 15 साल की नाबालिग बेटी को आरोपी के भरोसे पर छोड़कर बाहर जाते थे। आरोपी ने इसी भरोसे के बल पर 15 साल की पीड़िता को अकेला पाकर एक बार सितंबर में और फिर दिसंबर 2023 में उसके साथ रेप किया।" अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया ने आईपीसी की धारा 376 (2) (एन) (बार-बार बलात्कार) और पोक्सो अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत आरोपी को दोषी ठहराया।

दुष्कर्म से गर्भवती हो गई थी पीड़िता

अदालत में पीड़िता की पैरवी कर रहे विशेष सरकारी वकील श्रवण कुमार बिश्नोई ने कोर्ट को बताया कि बार-बार दुष्कर्म होने के चलते 15 साल की किशोरी गर्भवती हो गई। इसके बारे में पीड़िता के माता-पिता को बहुत देर से जानकारी मिली। इसके चलते पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दिया। वह बच्चा भी पूरे जीवन भर इस अपराध का शिकार रहेगा। इसलिए दोषी को किसी भी तरह की नरमी नहीं मिलनी चाहिए। इसपर कोर्ट ने कहा कि यह बहुत संगीन अपराध है। दोषी को इस बात की परवाह नहीं थी कि पीड़िता उसे चाचा कहती थी।

दुष्कर्म से जन्मे बच्चे को पालेगी निजी एजेंसी

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया ने आगे कहा "दोषी ने पीड़िता के अकेले होने का बार-बार फायदा उठाकर अपनी हवस बुझाई। पीड़िता से पैदा हुए बच्चे को गोद लेने के लिए विशेष दत्तक एजेंसी को दे दिया गया है। इससे न केवल पीड़िता और उसका परिवार, बल्कि दुष्कर्म से पैदा हुआ बच्चा भी इस अपराध का शिकार हुआ है। यह गंभीर परिस्थिति है।"

पीड़िता को 19 लाख 50 हजार मुआवजा देने का आदेश

अदालत ने आगे कहा "नाबालिगों के साथ रेप एक जघन्य अपराध है। बच्चे किसी भी समाज की सबसे कीमती संपत्ति होते हैं। समाज का यह कर्तव्य है कि वह न केवल उन्हें यौन हिंसा और उत्पीड़न से बचाए। बल्कि उन्हें एक सुरक्षित वातावरण भी प्रदान करे, जहां वे फल-फूल सकें।" इस दौरान कोर्ट में दोषी की ओर से सजा कम करने या नरम रुख अपनाने का कोई ठोस कारण साबित नहीं किया जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने पीड़िता को 19.5 लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश जारी कर दिया। फैसला 10 मार्च को सुनाया गया था।

Also Read
View All

अगली खबर