मोदी कैबिनेट के ऑलराउंडर चेहरे- आइआइटियन, आइएएस और केंद्रीय मंत्री
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली। मोदी सरकार में लगातार दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बने अश्विनी वैष्णव 'रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म' में यकीन रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से 71 मंत्रियों वाले भारी-भरकम मंत्रिपरिषद में भी उन्हें 3-3 बड़े मंत्रालय- रेल और आईटी के अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी दे दिया, उससे सरकार में उनकी उपयोगिता का पता चलता है। उनके पिछले कार्यकाल में रेलवे की कायापलट करने वाली कई बड़ी परियोजनाओं पर जिस तरह से कार्य चल रहा है, माना जा रहा है आने वाले समय में दुरगामी लाभ देखने को मिलेंगे।
मोदी कैबिनेट में अश्विनी वैष्णव एक ऐसे ऑलराउंडर हैं, जो हर उस क्षेत्र का अनुभव रखते हैं, जहां पहुंचपाना किसी का सपना होता है। आइआइटियन भी रहे हैं, आइएएस भी रहे हैं और बाद में सफल एंटरप्रेन्योर भी बनकर दिखाया। जब 2019 में राज्यसभा सदस्य बनकर राजनीति में उतरे तो दो साल के अंदर 2021 में ही सीधे कैबिनेट मंत्री भी बन गए। रेल, आईटी के साथ दूरसंचार जैसे बड़े मंत्रालय उन्हें मिले। एक साथ सभी प्रमुख सेक्टर का अनुभव रखने वाले बिरले व्यक्ति हैं वैष्णव। तकनीक, प्रशासन और प्रबंधन की समक्ष के सहारे उन्होंने मोदी कैबिनेट में गहरी छाप छोड़ी है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी का भरोसा बरकरार रहा है। कम्युनिकेशन मास्टर होने के कारण इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें सरकार का प्रवक्ता मानी जाने वाली मिनिस्ट्री इंफार्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग भी सौपी।
18 जुलाई 1970 को राजस्थान के पाली जिले में जन्मे अश्विनी वैष्णव का परिवार बाद में जोधपुर में बसा। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई जोधपुर के ही सेंट एंथोनी कान्वेंट से हुई और फिर यहीं के एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से 1991 में उन्होंने गोल्ड मेडल के साथ इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। आइआइटी कानपुर से इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग में वैष्णव ने एमटेक किया।फिर 1994 में सिविल सर्विसेज एक्जाम में 27 वीं रैंक के साथ ओडिशा काडर के आइएस बने।
1999 में ओडिशा में भयंकर तूफान आया था। तब बालासोर में कलेक्टर रहते हुए वैष्णव ने आपदा प्रबंधन का शानदार मॉडल पेश कर हजारों लोगों की जान बचाई थी। समय रहते उन्होंने जनता को प्रभावित इलाके से बाहर निकाला था। तब केंद्र की वाजपेयी सरकार तक उनके कार्यों की शोहरत पहुंची थी। बाद में कटक कलेक्टर रहते हुए भी उन्होंने शानदार कार्य किए।
ओडिशा में बतौर कलेक्टर अच्छे कार्यों से अश्विनी वैष्णव की पहचान दिल्ली तक होने लगी थी। फिर 2003 में वाजपेयी के शासनकाल में वैष्णव की नियुक्ति पीएमओ में डिप्टी सेक्रेटरी के रूप में हुई। यहां पीपीपी मोड में कार्य का उनका मॉडल सुर्खियों में रहा। 2004 में वाजपेयी चुनाव हार गए, लेकिन वैष्णव उनके साथ प्राइवेट सेक्रेटरी बनकर कार्य करते रहे। हालांकि कुछ समय बाद जीवन में कुछ नया करने की सोची तो 2008 में अध्ययन अवकाश लेकर अमेरिका के व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए की पढ़ाई करने चले गए। एमबीए की पढ़ाई के लिए उन्हें लोन लेना पड़ा था। 2009 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से वीआरएस लेकर प्राइवेट सेक्टर में चले गए। 2012 में कुछ कंपनियों में वाइस प्रेसीडेंट के तौर पर कार्य किए। 2012 में उन्होंने थ्री टी ऑटो लॉजिस्टिक्स प्राइवेट और वी जी ऑटो कंपोनेंट्स प्राइवेट बनाई। दोनों कंपनियों की गुजरात में मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट रही।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल में 34 वंदे भारत ट्रेनें चलीं। सिर्फ एक साल में 5,200 किलोमीटर नयी पटरियां बिछाने का रिकॉर्ड भी बना, जो स्विट्जरलैंड के पूरे नेटवर्क के बराबर है। पहले जहां 4 किमी प्रतिदिन रेल पटरी बन रही थी, अब 15 किमी प्रतिदिन कार्य हो रहा है। रेलवे के 40 हजार डिब्बों में वंदे भारत तकनीक पर कार्य चल रहा है। बीते 40 वर्षों की तुलना में तेज गति से विद्युतीकरण भी हुआ है। नए आईटी नियमों के पालन के लिए भी तेज गति से कार्य उन्होंने किया। बतौर दूरसंचार मंत्री बीएसएनल को घाटे से उबारने की भी उन्होंने पहल की।
रेल हादसों को रोकना
वादे के मुताबिक ट्रेन टिकट वेटिंग सिस्टम खत्म करना
नए आईटी कानूनों का पालन
रेलवे में लगभग 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश का टारगेट हासिल करना