राज्यसभा में सांसद अब तत्काल सार्वजनिक महत्व के मुद्दों के नाम पर नियम 267 के तहत केवल उस दिन की कार्यसूची से संबंधित मुद्दे पर ही नोटिस दे सकेंगे।
नियम 267 के तहत अब कार्यसूची से बाहर के मुददे पर नोटिस नहीं
राज्यसभा में सांसद अब तत्काल सार्वजनिक महत्व के मुद्दों के नाम पर नियम 267 के तहत केवल उस दिन की कार्यसूची से संबंधित मुद्दे पर ही नोटिस दे सकेंगे। गुरुवार को राज्यसभा में सभापति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि इस नियम का मकसद यह नहीं है कि पहले से सूचीबद्ध कार्यसूची को स्थगित करके उनकी ओर से सही समझे जाने वाले मुद्दों पर चर्चा की मांग की जाए। गौरतलब है कि बुधवार को इस नियम के तहत नोटिस देने वालों के विषय और नाम का उल्लेख नहीं किए जाने पर विपक्ष ने आपत्ति जताई थी। राधाकृष्णन ने कहा कि यह नियम लोकसभा के एडर्जनमेंट मोशन के बराबर नहीं है। राज्यसभा में पहले से सूचीबद्ध विषय पर ही यह नोटिस ठीक से तैयार मोशन के साथ दिया जा सकता है । उन्होंने कहा कि यह वर्ष 2000 की रूल्स कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर है। उन्होंने कहा कि कोई भी सार्वजनिक महत्व का मामला अन्य पार्लियामेंट्री तरीकों से उठाया जा सकता है।
सभापति की इस व्यवस्था पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि यह हथियार आप हमसे मत छीनो। हम कैसे अपने मुद्दे उठा सकेंगे। आप ऐसा बुलडोजर मत चलाइए। उन्होंने सदन में महत्वपूर्ण मुद्दों पर तुरंत चर्चा न होने को लेकर गहरी आपत्ति जताई और कहा कि सरकार लगातार संवेदनशील विषयों को टाल रही है।इस पर जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा से नहीं भाग रही है और हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।
दरअसल विपक्ष का मानना है कि नियम 267 के तहत तत्काल महत्व के मुद्दे पर तुरंत चर्चा कराए जाने का प्रावधान है। स्वीकार होने पर इस नियम के तहत सदन के अन्य सभी कार्यों को स्थगित करके संबंधित मुद्दे पर चर्चा कराई जाती है। चर्चा के अंत में वोटिंग का भी प्रावधान है।