नई दिल्ली

पाकिस्तानियों ने भाई के उड़ा दिए थे चीथड़े, जीडी बख्शी ने चार साल बाद ऐसे लिया बदला

Operation Sindoor: मेजर जनरल जीडी बख्शी की यह कहानी सिर्फ एक सैनिक की व्यक्तिगत पीड़ा नहीं है, बल्कि उस बलिदान और साहस का प्रतीक है। जो भारत के हर जवान के भीतर बसता है।

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देश की सीमा पर तैनात भारतीय सेना की जवान। (फाइल फोटो)

Operation Sindoor: मेजर जनरल जीडी बख्‍शी ने साल 1956 में पाकिस्तान से हुए युद्ध में शहीद अपने भाई को याद किया। इस दौरान उन्होंने कहा "मेरे एक बड़े भाई साहब थे। वे काफी लंबे, सुंदर और स्मार्ट क्रिकेटर थे। इसके साथ ही शहर के काफी चर्चित व्यक्ति थे। उन्होंने बतौर कैप्टन भारतीय सेना जॉइन की और साल 1965 में शहीद हो गए। उनके शरीर पर लैंडमाइन फटा था। इसलिए उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े तक हवा में उड़ गए। M-16 लैंडमाइन सबसे खतरनाक होता है। वो उछलकर छाती तक आ जाता है और इंसान के शरीर को पूरी तरह फाड़ देता है।" इतना कहते-कहते मेजर जनरल जीडी बख्‍शी भावुक हो गए। इसके बाद उन्होंने बताया कि जुलाई 1967 में वो एनडीए में चयनित हुए और 1971 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए।

लैंडमाइन फटने से शरीर के उड़ गए चीथड़े

इसके बाद खुद को थोड़ा संभालते हुए मेजर जनरल जीडी बख्‍शी ने आगे कहा "मेरे भाई के शरीर के भी छोटे-छोटे टुकड़े हो गए थे। लोगों ने उनके शरीर के टुकड़ों को इकट्ठा करके फ्रंट लाइन में ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया। इसके बाद हमारे घर फौज का एक सिपाही कांसे का कलश लेकर आया। इस कलश में मेरे भाई के शरीर की राख थी। उस फौजी ने कलश मेरे घरवालों को सौंपते हुए पूरे परिवार को दिलासा दी।”

फौजी ने बताया कि मेरा भाई बहुत बहादुरी से लड़ा। उसकी बात से मेरे घरवाले तो सहमत थे, लेकिन मैंने उसे किनारे ले जाकर पूरा घटनाक्रम पूछा तो उसने बताया कि अपने माता-पिता को मत बताना। आपके भाई की मौत लैंडमाइन फटने से हुई है। घटना में उनके शरीर के चीथड़े उड़ गए। हम लोगों ने उनके शरीर के टुकड़े इकट्ठा किए और अंतिम संस्कार कर दिया।"

इसके बाद मेजर जनरल जीडी बख्‍शी की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने फिर खुद को संभाला और आगे आगे बताया "मेरे भाई के शरीर की राख कलश में भरकर लाने वाले फौजी ने मुझसे कहा कि साहब आपको रोना नहीं है। आपका भाई गया है। भाई की मौत पर आप रो नहीं सकते, बल्कि आपको पाकिस्तान से बदला लेना है। मुझे आज तक उस फौजी के अल्फाज याद हैं।" मेजर जनरल जीडी बख्‍शी ने पाकिस्तान के साथ लड़ाई में अपने भाई को खोने की कहानी एक इंटरव्यू के दौरान बताई। यह इंटरव्यू एक यूट्यूब चैनल कर्ली टेल्स ने लिया था।

बदले की भावना बनी जीवन का लक्ष्य

मेजर जनरल जीडी बख्‍शी ने बताया “इस घटना ने न सिर्फ हम लोगों को भावनात्मक रूप से झकझोर दिया, बल्कि हमारे अंदर देश के दुश्मनों के खिलाफ बदले की भावना भी भर दी। उस फौजी की बात उसी दिन से मेरे जेहन में हमेशा के लिए बस गए। इस एक संवाद ने मेरे जीवन की दिशा तय कर दी। मैं सेना में और अधिक जुनून और संकल्प के साथ कार्य करने में जुट गया। इस घटना के बाद मेरे लिए सैन्य सिर्फ सेवा नहीं, बल्कि शहीद भाई के बलिदान का प्रतिशोध लेना भी एक मिशन बन गया था। इसके बाद पाकिस्तान के साथ हमने 1971 में पाकिस्तान से लड़ाई लड़ी। इस लड़ाई में हमारी टुकड़ी सबसे आगे थी। हमने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए। इसके बाद कारगिल युद्ध लड़ा। इसमें हमने पाकिस्तान की फौज की धज्जियां उड़ा दीं।”

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्‍शी ने कांग्रेस की स्थिति पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी तो ऑपरेशन सिंदूर पर चुप रहे, लेकिन उनकी पार्टी के कुछ नेताओं ने अच्छी टिप्पणियां नहीं की। कम से कम लड़ाई के दौरान तो देश में एकता दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का नाम बिल्कुल सही रखा गया, क्योंकि आंतकियों ने हमारी बेटियों के माथे से सिंदूर पोछा था। इसलिए यह उसका बदला है।

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