भारत के इंजीनियरों को अब “दुनिया के बैक ऑफिस” से आगे बढ़कर “दुनिया के भरोसेमंद दिमाग” के रूप में उभरना होगा
भारत के इंजीनियरों को अब “दुनिया के बैक ऑफिस” से आगे बढ़कर “दुनिया के भरोसेमंद दिमाग” के रूप में उभरना होगा
नई दिल्ली. दशकों से भारतीय इंजीनियर पूरी दुनिया में टेक्नोलॉजी उद्योग की रीढ़ बने हुए हैं। उनकी क्रियान्वयन क्षमता, विस्तार की दक्षता और विश्वसनीयता ने वैश्विक डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती दी है। लेकिन अब तकनीक की दिशा बदल रही है। ऑटोनोमस सिस्टम और एजेंटिक एआई जैसी नई तकनीकें—जो लक्ष्य समझ सकती हैं, योजनाएं बना सकती हैं और जटिल कार्यों का स्वतः क्रियान्वयन कर सकती हैं—इंजीनियरिंग की पारंपरिक प्रक्रिया को बदल रही हैं।
सेल्सफोर्स साउथ एशिया की प्रेसिडेंट एवं सीईओ अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि यह कोई खतरा नहीं, बल्कि "एक प्रमोशन" है। अब दुनिया को भारतीय इंजीनियरों की जरूरत केवल कोड लिखने के लिए नहीं, बल्कि यह तय करने के लिए है कि कौन-से कोड लिखे जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया अब भारतीय इंजीनियरों से इंटैलिजेंस, इनोवेशन और ऐसे निर्णयों की अपेक्षा करती है जिनकी नकल कोई एल्गोरिद्म नहीं कर सकता।
भट्टाचार्य ने कहा कि भारत के इंजीनियरों को अब “दुनिया के बैक ऑफिस” से आगे बढ़कर “दुनिया के भरोसेमंद दिमाग” के रूप में उभरना होगा। इसके लिए जरूरी है कि हम अपनी तकनीकी क्षमता को जनसमूह तक पहुँचाएं और जटिल परिणामों को स्वायत्त रूप से क्रियान्वित करने में सक्षम बनें। उन्होंने बताया कि “मेक इन इंडिया” का अगला चरण अब “इंटेलिजेंस इन इंडिया” होना चाहिए। एजेंटिक एआई भारतीय विनिर्माण, वित्तीय सेवाओं और स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एजेंटिक एआई फैक्ट्री फ्लोर पर उत्पादन अपटाइम बनाए रखने, वेस्ट घटाने और सप्लाई चेन को “सेल्फ-हीलिंग” बनाने में सक्षम होगा। इसी तरह, यह किसानों को मौसम, मिट्टी और बाजार के आधार पर निर्णय लेने में मदद करेगा और व्यक्तिगत वित्तीय सेवाएं स्वतः उपलब्ध कराएगा।
भट्टाचार्य ने कहा कि यह परिवर्तन अपने आप नहीं आएगा—इसे लाना होगा। इसके लिए इंजीनियरों को केवल तकनीक सीखने पर नहीं, बल्कि सामरिक सोच, रचनात्मक समस्या-समाधान और नैतिक निर्णय लेने की क्षमता पर ध्यान देना होगा। भविष्य के इंजीनियर कोड नहीं, बल्कि “इंटेलिजेंट एजेंट्स” का संचालन करेंगे।
उन्होंने भविष्य के लिए तीन सूत्रीय दृष्टिकोण सुझाया—
इंडिया स्टैक का निर्माण: यूपीआई, आधार और ओएनडीसी जैसे सार्वजनिक डिजिटल ढांचों पर आधारित एआई एजेंटों का विकास।
नेशनल स्किलिंग मिशन: शिक्षा और प्रशिक्षण को इस तरह पुनर्गठित करना कि इंजीनियर न केवल तकनीक को निर्देश दें, बल्कि उसका नैतिक संचालन भी कर सकें।
शासन एवं विश्वास: एआई के लिए नैतिक फ्रेमवर्क और नियामक सैंडबॉक्स की स्थापना ताकि तकनीक जिम्मेदारीपूर्वक लागू की जा सके।