ADG गोरखपुर जोन के कार्यालय में बड़ा गोरखधंधा उजागर हुआ है।यहां तैनात CA बाबू की मिलीभगत से नजदीकी जिलों के पुलिसकर्मी गलत तरीके से खिलाड़ी कोटे से संबद्धता दिखाकर ADG आफिस से संबद्ध हो गये और अपने प्रभाव का उपयोग कर स्थानीय थाना प्रभारियों पर आपने चहेतों को गलत लाभ देने का दबाव बनाने लगे।
कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा गोरखपुर एडीजी जोन दफ्तर में गलत तरीके से खिलाड़ी कोटे से संबद्धता हासिल कर विवादित जमीनों की पैरवी करने का मामला सामने आया है। एएसपी अंशिका वर्मा की गोपनीय जांच में शिकायत की पुष्टि के बाद गोपनीय सहायक (सीए बाबू) अमित कुमार श्रीवास्तव समेत 56 कर्मचारियों को हटा दिया गया है।सभी को उनकी मूल तैनाती पर भेज दिया गया। वहीं, तीन तरह की अनियमितता सामने आने के बाद तीन जिलों के एसपी को जांच सौंपी गई है।
पूरा मामला एडीजी डॉ. केएस प्रताप के पास आए एक गुमनाम पत्र की जांच के बाद सामने आया है। विवादित जमीन के धंधे की जांच गोरखपुर एसपी सिटी, गलत तरीके से खिलाड़ी बनने के मामले की जांच एसपी संतकबीरनगर को सौंपी गई है। इतना ही नहीं जांच में सामने आया कि सीए बाबू की भी संबद्धता गलत तरीके से हुई है, इसकी जांच एसपी संतकबीरनगर को सौंपी गई है। एडीजी की कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मचा है।
दरअसल, एडीजी डॉ. केसएस प्रताप ने महीने भर पहले अपने कार्यालय का निरीक्षण किया। इस दौरान 52 पुलिस वालों की दूसरे जिले से खिलाड़ी बनकर संबद्धता की जानकारी हुई। इस पर एडीजी ने कारण भी पूछा था, लेकिन फिर मामला शांत हो गया। इसी बीच एक गुमनाम पत्र एडीजी को मिला। शिकायतकर्ता ने प्रार्थना पत्र में लिखा था कि उसकी जमीन पर गलत तरीके से एडीजी
कार्यालय से पैरवी की जा रही है। थाना पुलिस चाहकर भी सही कार्रवाई नहीं कर पा रही है। शिकायती पत्र मिलने के बाद एडीजी ने संबद्धता की जानकारी पर दोबारा रिपोर्ट मांगी और संदेह के आधार पर पूरे प्रकरण की जांच एएसपी अंशिका वर्मा को सौंप दी।
एएसपी की जांच में पता चला कि बिना खेले ही पुलिस वाले खेल कोटा से संबद्धता पा गए हैं। इनकी अगुवाई में खेली टीम ने एक भी मेडल नहीं जीता है। फिर सीए बाबू की भूमिका की जांच भी जांच के घेरे में आ गई। जांच में यह भी पता चला कि सबको सीए बाबू अमित कुमार श्रीवास्तव ने ही संबद्ध कराया है। एएसपी की जांच रिपोर्ट आने के बाद एडीजी ने सबको मूल तैनाती पर भेजते हुए तीन एसपी को विस्तृत जांच सौंप दी है।
गोरखपुर जोन कार्यालय से संबद्ध ज्यादातर पुलिसकर्मियों का गृह जनपद गोरखपुर के आसपास ही है। जांच में पता चला है कि जमीन की पैरवी करने के साथ ही जरूरत पड़ने पर ये पुलिस वाले ही विवादित जगहों पर जाते थे। मामला खुलने के बाद सीए बाबू अमित कुमार श्रीवास्तव को सीबीसीआईडी, संतोष कुमार को सिद्धार्थनगर, रेनू पांडेय को संतकबीनगर, किरन यादव को कुशीनगर भेज दिया गया है। इसके अलावा 52 अन्य कर्मचारियों को भी उनकी मूल तैनाती वाले जिले में भेजा गया। माना जा रहा है कि जांच के बाद पूरे प्रकरण में बड़ी कार्रवाई संभव है।
ADG जोन गोरखपुर
एडीजी गोरखपुर जोन डॉ.केएस प्रताप ने बताया कि एक गुमनाम पत्र में शिकायत मिलने के बाद पूरे प्रकरण की जांच एएसपी अंशिका वर्मा से कराई गई है। विवादित जमीन और संबद्धता का मामला सामने आने पर जांच सौंपी गई है। जमीन प्रकरण की जांच एसपी सिटी गोरखपुर, संबद्धता की जांच एसपी सिद्धार्थनगर और सीए बाबू की संबद्धता की जांच एसपी संतकबीरनगर को सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।