मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर शनिवार को कस्बे में आस्था चरम पर दिखाई दी। अल-सुबह साढ़े तीन बजे पट खुलते ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ समाधि दर्शन के लिए उमड़ पड़ी।
मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर शनिवार को कस्बे में आस्था चरम पर दिखाई दी। अल-सुबह साढ़े तीन बजे पट खुलते ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ समाधि दर्शन के लिए उमड़ पड़ी।
पंचामृत अभिषेक और मंगला आरती के साथ ही पूरा समाधि परिसर जयकारों से गूंज उठा। जैसे-जैसे सुबह आगे बढ़ी, श्रद्धालुओं की कतारें लंबी होती गईं और मुख्य मंदिर रोड से समाधि प्रवेश द्वार तक भक्तों की भीड़ ठहर गई।दर्शन के लिए तीन से पांच घंटे तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। श्रद्धालुओं ने समाधि के दर्शन कर प्रसाद चढ़ाया और अमन, चैन व खुशहाली की प्रार्थना की। देर शाम तक एक किलोमीटर लंबी कतार बनी रही।
पूरे दिन रूणिचा नगरी भक्ति, अनुशासन और आस्था के अनूठे संगम से सराबोर रही। सुबह आठ बजे भोग आरती के साथ समाधि पर स्वर्ण मुकुट स्थापित किया गया। जयकारों की गूंज से मंदिर परिसर और आसपास का इलाका भक्तिमय वातावरण में डूब गया। भीड़ बढ़ने के साथ पुलिस और प्रशासनिक अमला सतत सक्रिय रहा। श्रद्धालुओं को कतारबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया गया ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।