डीएलएड पूरक द्वितीय वर्ष परीक्षा के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 20 मई की गई है निर्धारित, शाला दर्पण पोर्टल पर ऑनलाइन ही किए जा सकेंगे आवेदन, ऑफलाइन आवेदन नहीं किए जाएंगे स्वीकार
हनुमानगढ़. डीएलएड पूरक (द्वितीय वर्ष) परीक्षा, 2024 के ऑनलाइन आवेदन पत्र आमंत्रित करने की प्रक्रिया सोमवार से प्रारंभ कर दी गई है। आवेदन की अंतिम तिथि 20 मई तय की गई है। डाइट हनुमानगढ़ के उप प्रधानाचार्य जगदीशचंद्र सोलंकी ने बताया कि डीएलएड द्वितीय वर्ष पूरक परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन शाला दर्पण पोर्टल के माध्यम से करना होगा। परीक्षा के लिए केवल पात्र अभ्यर्थी ही अपनी व्यक्तिगत आईडी से ऑनलाइन आवेदन कर पाएंगे। किसी भी परिस्थिति में हाथ से भरा आवेदन पत्र अथवा ऑफलाइन आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। उप प्रधानाचार्य सोलंकी ने बताया कि अभ्यर्थी आवेदन पत्र को भरकर लॉक करेंगे तथा आवेदन पत्र को अध्ययनरत संस्थान को अग्रेषित करेंगे। अभ्यर्थियों को पूरक परीक्षा का निर्धारित शुल्क अपनी अध्ययनरत संस्थान में जमा करवाना होगा। डीएलएड द्वितीय वर्ष पूरक परीक्षा में वही परीक्षार्थी सम्मिलित होंगे जो डीएलएड द्वितीय वर्ष परीक्षा, 2024 में सम्मिलित हुए हो एवं उनका परीक्षा परिणाम अधिकतम दो विषयों में पूरक रहा हो। इस परीक्षा के लिए प्रत्येक पात्र छात्र से परीक्षा शुल्क 270 रुपए लिया जाएगा। परीक्षा का आयोजन डाइट मुख्यालय या डाइट के तय किए गए जिला मुख्यालय स्थित राजकीय विद्यालय के परीक्षा केन्द्रों पर होगी।
हनुमानगढ़. इंटिग्रेटेड पाठ्यक्रम बीए बीएड एवं बीएससी बीएड की डिग्री लेने की चाह रखने वाले युवाओं के लिए खुशखबरी है। यह पाठ्यक्रम बंद नहीं किया जाएगा। एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) ने इस संबंध में आदेश जारी किया। यह निर्णय परिषद की 65वीं बैठक में लिया गया। इसमें नए शिक्षा सत्र २०२५-२६ में इंटिग्रेटेड पाठ्यक्रम में पूर्व की भांति प्रक्रिया अपनाकर युवाओं को प्रवेश देने की घोषणा की गई है। चार वर्षीय इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए पहले की तरह प्रवेश परीक्षा का आयोजन कर ऑनलाइन काउंसलिंग के जरिए नए सत्र में प्रवेश दिए जाएंगे। इससे बीए बीएड एवं बीएससी बीएड की डिग्री करने की चाह रखने वाले युवाओं में खुशी की लहर है। राजस्थान प्राइवेट कॉलेज एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष तरूण विजय ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के निर्णय पर प्रसन्नता जताते हुए बताया कि युवाओं के हित में यह सकारात्मक फैसला बहुत आवश्यक था। इससे युवाओं को बहुत लाभ होगा। क्योंकि इंटिग्रेटेड पाठ्यक्रम के जरिए बीए बीएड एवं बीएससी बीएड की डिग्री लेने से युवाओं का एक साल का समय बचता है। अगर कोई बीए या बीएएससी आदि की स्नातक की डिग्री कर बीएड वगैरह करे तो पांच साल लग जाते हैं। जबकि इंटिग्रेटेड पाठ्यक्रम से यह योग्यता चार साल में ही हासिल की जा सकती है। इससे युवाओं का एक साल का समय व पैसा बचता है। इससे विद्यार्थियों को बहुत लाभ होगा।