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किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 55 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (26 नवंबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 55 में भेजी गई कहानियों में ये कहानियां सराहनीय रही हैं।

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 55 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (26 नवंबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 55 में भेजी गई कहानियों में ये कहानियां सराहनीय रही हैं।

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Nov 30, 2025
किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 55 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (26 नवंबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 55 में भेजी गई कहानियों में ये कहानियां सराहनीय रही हैं।

खरगोश और तितली की दोस्ती
अभिज्ञान सोनी, 7 वर्ष
एक सुहानी सुबह जंगल के किनारे एक छोटा-सा सफ़ेद खरगोश कूदते-फांदते घूम रहा था। उसका नाम झुनझुन था। झुनझुन बहुत जिज्ञासु और खुशमिजाज था। उसे हर दिन कुछ नया देखने और सीखने की आदत थी। उस दिन उसने आसमान में एक चमकीली नारंगी तितली को उड़ते देखा। तितली के पंख सूरज की किरणों में ऐसे चमक रहे थे, जैसे किसी ने उन पर सुनहरा रंग भर दिया हो। झुनझुन ने ख़ुशी से अपने दोनों कान खड़े किए और बोला, “अरे, वाह! तुम कितनी सुंदर हो!”
तितली मुस्कुराई और उसके आसपास नाचने लगी। झुनझुन उसे पकड़ना नहीं चाहता था, बस उसके साथ खेलना चाहता था। दोनों फूलों के बीच दौड़ते और उड़ते गए। कभी झुनझुन तितली के पीछे भागता, तो कभी तितली उसके सिर के ऊपर चक्कर लगाती। कुछ देर बाद तितली एक छोटे पीले फूल पर बैठ गई। झुनझुन धीरे से पास आया और बोला, “क्या तुम रोज मुझसे मिलने आओगी?” तितली ने अपने पंख फड़फड़ाए और बोली, “जरूर! पर याद रखना, दोस्ती में सबसे जरूरी है दयालुता।”
झुनझुन ने खुशी से सिर हिलाया। उस दिन से दोनों की दोस्ती इतनी गहरी हुई कि जंगल के बाकी जानवर भी उनकी जोड़ी देखकर मुस्कुरा उठते। और इस तरह झुनझुन ने सीखा कि असली दोस्ती रंग, रूप या आकार से नहीं, बल्कि प्यार और भरोसे से बनती है।
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रंग—बिरंगा खरगोश बन्नी
अयाना जैन, 7 वर्ष
जंगल में एक खरगोश अपनी मां के साथ रहता था। उसका नाम बन्नी था। वह सफेद रंग का था। जंगल में इधर-उधर घूमना, उछल कूद करना और खेलना उसको अच्छा लगता था। एक दिन उसने रंग बिरंगी तितली को देखा। इतने सुंदर रंग देखकर बन्नी को बहुत अच्छा लगा और वह अपनी मां के पास गया उसने मां को बोला कि मुझे भी तितली के जैसा रंग-बिरंगा बना दो। उसकी मां ने गेंदा, गुलाब और गुड़हल के फूलों से अलग-अलग रंग बनाकर बन्नी को भी रंग—बिरंगा बना दिया। अपने आप को रंग—बिरंगा देखकर बन्नी खुश हो गया।

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गाजर का रहस्य
दक्ष सोनी, 13 वर्ष

जंगल में मोनू नाम का एक शरारती खरगोश था। मोनू को अपने पीछे भागने में मजा आता था। एक दिन मोनू ने अपनी चमकीली नारंगी तितली-दोस्त टिमकी को देखा। टिमकी एक फूल पर बैठी थी। टिमकी जरा मेरी मदद करो मोनू ने कहा। मैंने अपनी सबसे बड़ी गाजर कहीं छुपा दी है और भूल गया हूं। टिमकी हंसने लगी। ठीक है मोनू मैं तुम्हें रास्ता दिखाती हूं। टिमकी हवा में उड़ती गई। मोनू अपनी पूरी ताक़त से उसके पीछे भागा झाड़ियों में कूदा और पत्थरों के ऊपर से छलांग लगाई। वह इतनी तेज़ भागा जितनी उसने कभी नहीं सोचा था। टिमकी अंत में एक बड़े सूरजमुखी के फूल के पास रुकी। मोनू हांफते हुए वहां पहुंचा। टिमकी ने अपने पंख नीचे किए और फूल के तने की ओर इशारा किया। वहां ठीक नीचे, मोनू की सबसे बड़ी और रसीली गाजर मिट्टी में आधी दबी हुई थी। मोनू ने टिमकी को धन्यवाद दिया। उसे एहसास हुआ कि सही दोस्त, गाजर ढूंढने में ही नहीं, बल्कि ज़िंदगी की दौड़ में भी आपकी मदद करते हैंं।
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शरारती बंटी की पक्की दोस्त
साक्षी पटेल, 13 वर्ष
एक हरे-भरे जंगल में जहां सूरज की किरणें पत्तों से छनकर नीचे आती थीं। बंटी नाम का एक छोटा, प्यारा खरगोश रहता था। बंटी बहुत चंचल था और उसे नई-नई चीज़ें खोजना बहुत पसंद था। एक सुहावनी सुबह, जब ठंडी हवा चल रही थी, बंटी अपने बिल से बाहर निकला। वह उछलता-कूदता एक साफ़ जगह पर पहुंचा जहां रंग-बिरंगे फूल खिले थे। अचानक उसकी नजर एक बेहद खूबसूरत तितली पर पड़ी। तितली के पंख इंद्रधनुष के रंगों जैसे चमक रहे थे। बंटी ने ऐसी सुंदर तितली पहले कभी नहीं देखी थी। बंटी उसे देखकर बहुत खुश हुआ और उसकी तरफ़ भागा। जैसे ही वह पास पहुंचता, तितली फुर्र से उड़कर थोड़ी दूर जाकर बैठ जाती। बंटी ने कई बार उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन हर बार वह बच निकली। बंटी थक गया और उदास होकर बैठ गया। तितली बंटी के पास उड़कर आई और एक फूल पर बैठ गई। उसने प्यार से कहा, "बंटी, मुझे पकड़ने की कोशिश मत करो। हम दोस्त बन सकते हैं, लेकिन मुझे पिंजरे में बंद मत करो।" बंटी को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह समझ गया कि आजादी कितनी जरूरी है। उस दिन से बंटी और वह तितली, जिसका नाम परी था, अच्छे दोस्त बन गए। वे रोज उस जगह मिलते, खेलते और सुंदर फूलों का आनंद लेते। बंटी ने सीख लिया कि कभी-कभी किसी चीज को दूर से निहारना और उसकी आजादी का सम्मान करना, उसे पाने की कोशिश करने से कहीं बेहतर होता है। जंगल में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाने लगी।
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उड़ना मुश्किल है
देवराज जाट नाहरवाल, 11 वर्ष
एक बार एक खरगोश जंगल में घूम रहा था। तभी उसे एक तितली दिखी। वह उसके पीछे-पीछे गया और उसे रोक कर बोला बहन तुम कैसे उड़ सकती हो और मैं क्यों नहीं? तितली बोली क्योंकि तुम्हारे पंख नहीं है। पास ही एक चिड़िया बैठी थी। वह बोली— क्योंकि तुम्हारे अंदर वजन बहुत है, तुम इसलिए नहीं उड़ सकते। तुम केवल दौड़ सकते हो। तुम जमीन पर राज कर सकते हो। फिर भी तुम उड़ाना क्यों चाहते हो? खरगोश बोला मैं तुम्हारी तरह उड़ कर आसमान की सैर करना चाहता हूं। ऊपर से सभी पशुओं को देखना चाहता हूं। तितली बोली तुम जमीन पर ही रहो। तुम उड़ नहीं सकते। खरगोश दुखी होकर वहां से चला गया।
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खरगोश और तितली की दोस्ती
मेहुल, 13 वर्ष
एक घने, हरे जंगल में गुब्बू नाम का एक छोटा-सा, शरारती खरगोश रहता था। गुब्बू हर रोज़ नई-नई चीज़ों को देखकर खुश हो जाता था। आज सुबह जब वह उछलता-कूदता घूम रहा था, तभी उसके सामने एक पीली, चमचमाती तितली उड़ती हुई आई। गुब्बू ने पहली बार इतनी सुंदर तितली देखी। वह हंसते हुए बोला, "अरे वाह! तुम कितनी प्यारी हो! क्या तुम मेरे साथ खेलोगी?" तितली हवा में चक्कर काटते हुए बोली, "जरूर! लेकिन मुझे पकड़कर दिखाओ!" और फिर क्या था—
गुब्बू उछल-उछलकर तितली को पकड़ने की कोशिश करने लगा और तितली हंसते-हंसते ऊपर उड़ने लगी। इसी खेल में एक छोटा-सा पक्षी भी जमीन से झांककर उन्हें देखने लगा। उसे भी मजा आ रहा था। कुछ देर बाद तितली गुब्बू की नाक पर बैठ गई और बोली, "हम दोस्त हैं ना, इसलिए मैं खुद ही आ गई!" गुब्बू खिलखिलाकर हंस पड़ा। जंगल में फूल, पत्ते और हवा—सब उनकी दोस्ती को देखकर मुस्कुरा रहे थे। उस दिन से गुब्बू और तितली हर रोज़ साथ खेलते और जंगल में खुशियां फैलाते।
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खुश रहना सीखना चाहिए
रिशा चौधरी, 12 वर्ष
एक बार की बात है। एक छोटा खरगोश जिसका नाम चेरी था, वह एक सुबह रंग—बिरंगी तितली को देखकर बहुत उदास हो गया उसकी मम्मी ने उससे पूछा कि क्या हुआ चेरी तुम दुखी नज़र आ रहे हो। तो चेरी ने कहा कि हां, मां मैं इसलिए दुखी हूं। क्योंकि मुझे भी इस तितली की तरह उड़ना है, तो मां ने चेरी से कहा कि तो क्या हुआ माना की तुम उड़ नहीं सकते। परंतु तेज जरूर दौड़ सकते हो। चेरी ये सीख समझ गया और उसने ठान लिया की उसे जो मिलेगा वह उसमें खुश रहेगा। फिर एक दिन चेरी को एक मुर्गी का बच्चा मिला वह बहुत छोटा था। उसने चेरी को दौड़ते देख कहा कि मैं भी तुम्हारे जैसा तेज दौड़ना चाहता हूं, पर मैं तो बड़े होकर भी ना तो इतना तेज दौड़ पाऊंगा और ना ही ज्यादा ऊंचा उड़ पाऊंगा। तो चेरी ने कहा कि कोई बात नहीं तुम भले ही यह काम नहीं कर सकते, पर तुम बड़ी होकर बहुत सारे अंडे दोगी। इस बात पर मुर्गी के बच्चे ने कहा कि सही बात है, हमें जो मिले उसमें हमें खुश रहना सीखना चाहिए।
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मन्नू और तितली की दोस्ती
काव्या ठाकुर, 12 वर्ष
एक समय की बात है। एक खरगोश एक जंगल में रहता था उसका नाम मन्नू था। वह तितलियों को देखना पसंद करता था। एक दिन एक सुंदर तितली उसके पास आई। मन्नू ने उसे देखा और मुस्कराया। तितली उसके सिर के ऊपर उड़ने लगी। मन्नू हंस पड़ा और उसके साथ खेलने लगा। वह तितली के पीछे दौड़ता, और तितली उसके चारों ओर उड़ती। मन्नू को यह खेल बहुत पसंद आया। वह खुशी से चिल्लाया और तितली के साथ नाचने लगा।उनका यह खेल तब तक चलता रहा जब तक सूरज नहीं ढल गया। मन्नू ने तितली को अलविदा कहा और अपने घर की ओर चल दिया। वह बहुत खुश था‌ और कल फिर तितली के साथ खेलने का इंतजार करने लगा।
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रोमी को मिली सीख
दित्या गोयल, 8 वर्ष
एक खरगोश था। उसका नाम रोमी था। वो अपनी मम्मी को बुलाने के लिए घर से बाहर आया। फिर उसने देखा की एक तितली आसमान में उड़ रही है। उसने भी सोचा की मैं भी चलो उड़ता हूं, पर वह उड़ नहीं पाया। ये सोच के वो उदास हो गया। पास में एक चिड़िया दाना चुग रही थी। उस चिड़िया ने रोमी को उदास देखकर कहा— क्या हुआ नन्हे रोमी, तब रोमी ने अपनी सारी बात बताई। तब चिड़िया ने उसे समझाया कि सब में अलग-अलग प्रतिभा होती है। जैसे तितली उड़ सकती है। तुम दौड़ सकते हो। ये सुनकर रोमी समझ गया और खुश हो गया।
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आर्या गालवा, 8 साल
एक बार की बात है, एक बगीचे में बहुत सारे फूलों के पौधे थे। उन पर एक सुंदर सी तितली रहती थी। एक दिन एक खरगोश वहां आया। उसने वहां उस तितली को देखा, उसे वह बहुत अच्छी लगी। उसका मन किया कि इस तितली को अपने घर ले जाता हूं। उसने तितली से पूछा मेरे साथ चलोगी तो तितली बोली— मैं तो फूलों पे रहती हूं, तुम्हारे साथ कैसे चलूंगी ?
खरगोश ने सोचा कि मैं फूल तोड़कर अपने साथ ले जाता हूं तो ये तितली भी मेरे साथ चल पड़ेगी, लेकिन जब खरगोश फूल तोड़कर ले जाने लगा, तो वो तितली दूसरे फूलों पर बैठ गई। जब खरगोश ने कहा कि फूल तो मेरे पास भी है। तुम उनकी तरफ क्यों नहीं आ रही, तो तितली बोली फूलों की खूबसूरती तो बस पौधों के ऊपर ही होती है। टूटने के बाद तो वो मुरझा जाते हैं। इसलिए मुझसे मिलने तो यहीं आना पड़ेगा। फिर खरगोश वहां रोजाना आने लगा और तितली का दोस्त बन गया ।
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छोटी तितली का बड़ा सबक
कबीर सिंह चौहान, 8 वर्ष
एक दिन प्यारा खरगोश मैदान में अकेले खेल रहा था। तभी एक चमकीली पीली तितली उसके पास उड़कर आई। वह तितली को देखकर खुश हुआ और उसके पीछे-पीछे भागने लगा। तितली अचानक रुककर बोली— धीरे चलो, हर चीज़ का आनंद आराम से लो। खरगोश हैरान रह गया कि तितली बोल रही है। थोड़ी देर बाद एक छोटा चूजा भी आ गया और दोनों के पास बैठ गया। तितली ने उन्हें समझाया कि जिंदगी में जल्दी करने से मज़ा कम हो जाता है। उसने फूलों की खुशबू सूंघवाई, पत्तों पर जमी ओस दिखायी और धीमे सा हवा का स्पर्श महसूस कराया। खरगोश और चूज़ा दोनों सीख गए कि छोटी-छोटी चीज़ों में भी बहुत सुंदरता छिपी होती है। तीनों ने मिलकर प्रकृति की शांति का आनंद लिया और दिन बहुत शांति से बीता।
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हमारा रंग-बिरंगा बगीचा
युवराज, 12 वर्ष
एक दिन की बात है। एक छोटा-सा बगीचा था, जहां की मिट्टी अजीब-सी अलग रंग की थी। उस बगीचे में एक प्यारा सा खरगोश बैठा था। वह इधर-उधर कूद रहा था और फूलों को सूंघ रहा था। तभी एक रंग-बिरंगी तितली हवा में उड़ती हुई वहाँ आई। खरगोश ने उसे देखा तो वह बहुत खुश हो गया। उसकी आंखें चमकने लगीं और वह मुस्कुराने लगा। पास में ही एक छोटी चिड़िया जमीन पर दाने चुग रही थी। वह ऊपर से तितली और खरगोश को देख रही थी। चिड़िया को लगा कि आज बगीचा और भी सुंदर लग रहा है। तीनों—खरगोश, तितली और चिड़िया—अलग-अलग थे। तितली उड़ सकती थी, खरगोश कूद सकता था और चिड़िया गाना गा सकती थी। पहले उन्हें लगता था कि वे एक-दूसरे से बहुत अलग हैं, इसलिए वे ज्यादा साथ नहीं खेलते थे। पर उस दिन उन्हें समझ आया कि अलग होना भी अच्छा होता है। तितली रंग भरती थी, चिड़िया गाना सुनाती थी और खरगोश बगीचे को मजेदार बनाता था। तीनों ने महसूस किया कि अगर सब एक जैसे होते, तो बगीचा इतना सुंदर नहीं लगता। उस दिन से तीनों अच्छे दोस्त बन गए। वे रोज़ बगीचे में मिलकर खेलते, गाते और हँसते थे। बगीचा भी खुश लगता था, क्योंकि तीनों अपनी-अपनी खासियत से उसे और सुंदर बना देते थे।
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सभी का सम्मान करो
सिद्धविक सामर, 7 वर्ष
जंगल के किनारे एक छोटा-सा खरगोश रहता था, जिसका नाम था टिन्नू। टिन्नू बहुत शरारती था। वह जंगल के छोटे जीवों को छेड़ता और मज़ाक उड़ाता था। एक दिन वह खेलते-खेलते एक सुंदर नारंगी तितली के पीछे भागने लगा। तितली बहुत नाजुक थी, लेकिन टिन्नू उसे पकड़ना चाहता था ताकि अपने दोस्तों को दिखा सके। तितली बार-बार उड़कर बचती रही। आखिर वह एक फूल पर बैठकर थक गई। टिन्नू धीरे-धीरे उसके पास पहुंचा। तभी तितली बोली, “अगर तुम मुझे पकड़ोगे, तो मैं उड़ नहीं पाऊँगी। मेरे पंख टूट जाएँगे। क्या तुम्हें अच्छा लगेगा अगर कोई तुम्हें ऐसे ही परेशान करे?” टिन्नू रुक गया। पहली बार उसने महसूस किया कि उसकी शरारत दूसरों को दुख पहुंचा रही थी। उसकी आवाज धीमी हो गई, “मैंने सोचा ही नहीं था कि किसी को तकलीफ़ हो सकती है…” तितली मुस्कुराई और बोली, “हर किसी की अपनी दुनिया होती है। सम्मान करोगे, तो ही दोस्ती मिलेगी।” टिन्नू को बात समझ आ गई। उसने तितली से माफी मांगी और वादा किया कि अब वह किसी को परेशान नहीं करेगा। उस दिन से टिन्नू सबका ख्याल रखने लगा। जंगल के सभी जीव उसे पसंद करने लगे, और टिन्नू ने सीखा कि दूसरों का सम्मान करना ही सबसे बड़ी अच्छाई है।
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मित्र जरूरी होते हैं
रूबल राठौड़, 12 वर्ष
घने जंगल में बन्नी नाम का एक प्यारा, चंचल खरगोश रहता था। एक धूप वाले दिन, जब वह घास पर बैठा था, उसकी नज़र एक सुंदर तितली पर पड़ी। वह अपना खाना छोड़कर चुपचाप तितली के पीछे हो लिया, जो फूलों पर नाच रही थी। वे खेलते-खेलते जंगल में दूर निकल गए। बन्नी फिसलकर एक गड्ढे में गिर गया और रोने लगा। तितली तुरंत वापस आई और मदद के लिए उड़कर उल्लू दादा के पास गई। उल्लू दादा ने बन्नी को बाहर निकाला। उस दिन से, बन्नी और तितली पक्के दोस्त बन गए, और बन्नी को एहसास हुआ कि दोस्ती में प्यार और साथ सबसे महत्त्वपूर्ण होते हैं।

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जीनल, उम्र 10 साल
घने जंगल में चीनू खरगोश हमेशा मस्ती में रहता था। एक दिन वह खेल रहा था कि तभी रंग-बिरंगी जीनू तितली उसके ऊपर से उड़ती हुई बोली, “चीनू! आज मैं तितली स्कूल जा रही हूं, उड़ान की नई ट्रिक सीखनी है।” चीनू चौंक गया, “अरे! तितलियों का भी स्कूल होता है?” जीनू हंसते हुए बोली, “हां, जहां हम नई चीज़ें सीखते हैं। जो सीखता है, वही आगे उड़ता है!” इतने में पास बैठा छोटा चूज़ा अचानक फिसलकर औंधे मुंह मिट्टी में गिर पड़ा। जीनू ने उसे उठाते हुए कहा, “देखा चीनू! अगर सीखोगे नहीं तो ठोकरें ज्यादा लगेंगी।” चीनू मुस्कुराया और बोला, “तो क्या मैं भी पढ़ सकता हूं?” जीनू बोली, “बिल्कुल! सीखने वाले के लिए कोई उम्र नहीं होती। चलो, मैं तुम्हें तितली स्कूल की पहली सीख बताती हूं— ध्यान लगाकर सीखो, रोज थोड़ा-थोड़ा नया, फिर देखो कैसे उड़ोगे अपने सपनों तक!” चीनू ने जोश में कान खड़े किए और बोला, “आज से मैं भी रोज पढ़ाई करूंगा!” चूज़ा भी खुश होकर बोला, “मैं भी ज्ञान लूंगा! ताकि दोबारा न गिरूं!” तीनों हंसते हुए आगे बढ़े—
नई सीख, नए सपनों और नई उड़ान की तरफ।
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खरगोश, तितली और चिड़िया
संस्कृति श्रीवास्तव, 7 वर्ष
मोंटी खरगोश घास के मैदान में हरी झाड़ियों और लाल फूलों के बीच खुशी से उछल-कूद कर रहा था। अचानक, एक सुंदर नारंगी तितली को उड़ते देख मुस्कुराया और साथ खेलने की पूछा। गुनगुन तितली को मोंटी खरगोश अच्छा लगा और वह उस के पास खेलने रुक गई। दोनों बहुत देर तक बगीचे में खेलते रहे इतने में चुनमुन चिड़िया वहां पानी पीने आई और बोली क्या मुझे भी अपने साथ खिलाओगे? उन्होंने उसे भी अपना दोस्त बना लिया। खरगोश ने दोनों से कहा, "चलो साथ खेलते हैं!" तितली बोली "मैं फूलों के ऊपर उड़ूंगी, और तुम नीचे दौड़ो!" गुनगुन चिड़िया भी बोली मैं थोड़ी देर खरगोश के साथ दौडूंगी और थोड़ी देर तुम्हारे साथ उड़ूंगी। तीनों ने साथ में एक मज़ेदार दिन बिताया। मोंटी खरगोश फूलों के बीच दौड़ा, गुनगुन तितली उड़ते हुए उनके ऊपर नाच रही थी। और चुनमुन दोनों के साथ मस्ती कर रही थी। इस तरह, खरगोश, तितली और चिड़िया अच्छे दोस्त बन गए और हर दिन साथ में मजे से खेलने लगे ।

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चंचल खरगोश और सुंदर तितली
मिहिका, 10 वर्ष
एक हरे-भरे जंगल में एक नन्हा खरगोश रहता था। वह बहुत चंचल और जिज्ञासु था। एक दिन वह कूदते-कूदते फूलों के बीच पहुँच गया। तभी उसकी नज़र एक सुंदर पीली तितली पर पड़ी। तितली हवा में इठलाती हुई उड़ी जा रही थी। खरगोश ने उसे देखा और खुशी से उछल पड़ा। वह तितली के पीछे-पीछे दौड़ने लगा। तितली कभी ऊपर उड़ती, कभी नीचे, और खरगोश हँसते हुए उसके पीछे भागता रहा। दोनों खेलते-खेलते जंगल के बीच एक छोटी पगडंडी तक पहुंच गए। आख़िर में तितली एक फूल पर बैठ गई। खरगोश भी पास जाकर उसे निहारने लगा। तितली ने अपने पंख फड़फड़ाए, जैसे कह रही हो— “दोस्ती हो गई!”
खरगोश मुस्कुराया और दोनों का खेल फिर से शुरू हो गया ‍।

Published on:
30 Nov 2025 09:33 am
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