सोशल मीडिया पर सख्ती
न्यूयॉर्क. बच्चों में सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लगातार बढ़ते दबाव के बीच न्यूयॉर्क ने सख्त कदम उठाया है। न्यूयॉर्क राज्य की सीनेट ने एक विधेयक पारित किया है, जिससे सोशल मीडिया पर ऐसी सामग्री पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा, जो बच्चों में इस मीडिया की लत लगाती हैं।द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक डेमोक्रेट गवर्नर कैथी होचुल के विधेयक पर दस्तखत के बाद यह कानून लागू हो जाएगा। इससे 18 साल से कम उम्र के बच्चों को ‘व्यसनी’ पोस्ट नहीं दिखाई जा सकेंगी। बच्चों को सिर्फ उन खातों से पोस्ट मिलेंगी, जिन्हें वे फॉलो करते हैं। नाबालिगों को ‘व्यसनी’ पोस्ट माता-पिता की सहमति के बाद ही भेजी जा सकेंगी। नए कानून के तहत प्लेटफॉर्म माता-पिता की सहमति के बगैर आधी रात से सुबह छह बजे के बीच नाबालिगों को ऐसी पोस्ट के बारे में सूचनाएं भी नहीं भेज सकेंगे। अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स को विधेयक को लेकर गाइडलाइन तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है, ताकि यूजर्स की उम्र और माता-पिता की सहमति निर्धारित करने के लिए तंत्र बनाया जा सके। उनका कहना है कि ‘व्यसनी’ पोस्ट ऐसे अकाउंट से आती हैं, जिसे बच्चे फॉलो या सब्सक्राइब नहीं करते। उन्हें लंबे समय तक प्लेटफॉर्म पर रखने के लिए डिजाइन किए गए एल्गोरिदम से पोस्ट डिलीवर की जाती है।
बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य का संकट
न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स का कहना है कि हमारे बच्चे मानसिक स्वास्थ्य के संकट से जूझ रहे हैं। सोशल मीडिया इस आग को और भडक़ा रहा है और इस ‘महामारी’ से मुनाफा कमा रहा है। विधेयक का न्यूयॉर्क का टेक उद्योग भारी विरोध कर रहा है। उसका तर्क है कि यह असंवैधानिक रूप से साइट्स को सेंसर करता है। यह प्रक्रिया युवा यूजर्स की प्राइवेसी पर असर डालेगी।
विज्ञापन दिखाकर 918.79 अरब कमाए
इंस्टाग्राम और फेसबुक की मूल कंपनी मेटा ने पिछले साल ऐसे उपकरण पेश किए थे, जिनकी मदद से माता-पिता समय-सीमा तय कर सकते हैं और यह देख सकते हैं कि उनका बच्चा इन प्लेटफॉर्म पर कितना समय बिताता है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के हालिया अध्ययन के मुताबिक छह सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने 2022 में नाबालिगों को विज्ञापन दिखाकर 11 अरब डॉलर (करीब 918.79 अरब रुपए) कमाए।