श्रमिकों के रेस्ट हाउस
भोपाल. अब तक आपने वीआइपी, एमएलए समेत विभिन्न विभागों के रेस्ट हाउस के बारे में सुना होगा, लेकिन राजधानी में श्रमिकों के लिए भी रेस्ट हाउस तैयार हो रहा है। 100 बिस्तर का रेस्ट हाउस 5.60 करोड़ रुपए में तैयार किया जाएगा। इसका उद्देश्य अन्य शहरों व क्षेत्रों से भोपाल अपने काम के लिए पहुंचने वाले श्रमिकों को सस्ती दर में ठहरने की सुविधा देना है। लोक निर्माण विभाग इसका निर्माण करवा रहा है। शासन स्तर पर इसके लिए निर्देश दिए गए हैं। संभवत: अन्य जिलों में या संभागीय मुख्यालयों में भी इस तरह के रेस्ट हाउस बनाए जा सकते हैं।
भोपाल में रेस्ट हाउस- भोपाल में सरकारी रेस्ट हाउस विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं, जिनमें पीडब्ल्यूडी, सर्किट हाउस, वन विभाग, और सेन्य रेस्ट हाउस शामिल हैं। इन रेस्ट हाउस का उपयोग सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, और अन्य पात्र व्यक्तियों के लिए सुविधाजनक आवास प्रदान करने के लिए किया जाता है। पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत प्रमुख रेस्ट हाउस जैसे कि भोपाल का सर्किट हाउस, भोपाल गेस्ट हाउस आदि हैं। इसके अलावा, सरकारी कर्मचारियों के लिए सेन्य रेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं। भोपाल के कई सरकारी रेस्ट हाउस में ठहरने के लिए सरकारी विभाग के माध्यम से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है, और इनमें से कुछ केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से आरक्षित हैं।श्रमिक अब तक रैन बसेरे के भरोसे
- अब तक श्रमिक या तो अपने निजी इंतजाम या फिर नगर निगम के रैन बसेरे के भरोसे ही रहते थे। रात को यहां भी उन्हें ठहरने की जगह मिल जाती है, लेकिन यहां की व्यवस्थाएं उतनी बेहतर नहीं होती। आमतौर पर भिखारी व निराश्रितों को ठंड, बारिश से बचाने यहां ठहराया जाता है।विभाग श्रमिक रेस्ट हाउस बना रहा है। अगले 14 माह में काम पूरा कर लिया जाएगा। श्रमिकों के लिए अपनी तरह का अलग रेस्ट हाउस होगा।
- संजय मस्के, चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी