रोजाना तीन क्विंटल से ज्यादा पॉलीथिन शहर की सडक़ों, नालियों और बाजारों में बिखर रही है। नतीजा यह कि इंसान से लेकर जानवर और पूरा पर्यावरण इस जहर का शिकार हो रहा है।
शहर में पॉलीथिन का बढ़ता कारोबार अब बेकाबू होता जा रहा है। प्रशासन बार-बार दावे करता है कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर कार्रवाई हो रही है, लेकिन हकीकत नगर पालिका के आंकड़े बताते हैं कि शहर में रोजाना करीब 70 टन कचरा निकलता है, जिसमें से लगभग 50 टन प्लास्टिक वेस्ट होता है। यह हाल तब है जब प्रदेश सरकार ने प्लास्टिक कैरी बैग पर जुर्माने और रोक के आदेश जारी किए हैं। वहीं, रोजाना तीन क्विंटल से ज्यादा पॉलीथिन शहर की सडक़ों, नालियों और बाजारों में बिखर रही है। नतीजा यह कि इंसान से लेकर जानवर और पूरा पर्यावरण इस जहर का शिकार हो रहा है।
कभी लोग घर से कपड़े या जूट के थैले लेकर बाजार जाते थे, लेकिन अब हालात उलट हैं। सब्जी हो, किराना हो या दूध, हर छोटी-बड़ी चीज पॉलीथिन में ही दी जा रही है। बाजारों से लेकर मोहल्लों तक पॉलीथिन की थैलियों का ढेर दिखना आम हो गया है। स्थानीय दुकानदार अब सिर्फ कानपुर से ही नहीं बल्कि शहर में ही निर्मित पॉलीथिन की थैलियां बेच रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि पॉलीथिन में पैक खाना स्लो पॉइजन साबित हो रहा है। इसमें पाए जाने वाले थैलेट्स और बीपीए जैसे रसायन हार्मोनल असंतुलन पैदा करते हैं, प्रजनन क्षमता घटाते हैं और कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। डॉ. आरए सेन, सेवानिवृत्त उप संचालक पशु चिकित्सा का कहना है कि यह जहर धीरे-धीरे शरीर को भीतर से खोखला कर रहा है।
शहर के कचरा प्रसंस्करण केंद्र और सडक़ों पर घूमने वाले गोवंश रोज प्लास्टिक निगल रहे हैं। हर माह 60-70 गोवंश की मौत केवल पॉलीथिन खाने से हो रही है। यह पॉलीथिन उनके पेट में जमा होकर पाचन तंत्र को नष्ट कर देती है और अंतत: उनकी मौत हो जाती है। पशुपालकों की माने तो यह प्रशासन की लापरवाही का सीधा नतीजा है।
शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के नाम पर प्रशासन कई अभियान चला चुका है, लेकिन असर दिखता नहीं। दुकानदार आज भी पॉलीथिन में ही सामान दे रहे हैं और ग्राहक बिना थैले के निकलते हैं। नतीजा यह कि सिस्टम की लापरवाही और लोगों की आदत, दोनों मिलकर शहर को प्रदूषण के दलदल में धकेल रहे हैं।
पॉलीथिन केवल एक थैला नहीं, बल्कि पर्यावरण और जीवन के लिए स्थायी खतरा है। अब जरूरत है कि लोग स्वयं थैला लेकर बाजार जाएं, दुकानदार प्लास्टिक के बजाय वैकल्पिक साधनों का इस्तेमाल करें और प्रशासन सख्त कार्रवाई करे। वरना यह प्लास्टिक की आदत आने वाली पीढयि़ों के लिए सबसे बड़ी आफत बन जाएगी।
प्लास्टिक के इस्तेमाल से हो रहे नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है और कार्रवाई भी की जा रही है। कचरा के निष्पादन को लेकर भी लोगों को जागरुक कर रहे हैं।
माधुरी शर्मा, सीएमओ