प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 12 मार्च को रेलवे के बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए 85,000 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे। वह अहमदाबाद में डीएफसी के ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर का दौरा करेंगे। साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के न्यू मकरपुरा-न्यू घोलवड व ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के न्यू खुर्जा-सानेहवाल रेलखंडो का राष्ट्र को समर्पण करेंगे।
प्रधानमंत्री 10 नई वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत के साथ, भारतीय रेलवे में 51 ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। रेल मंत्रालय ने दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) का निर्माण शुरू किया है। पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (ईडीएफसी) लुधियाना से सोननगर (1337 किलोमीटर) और पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (डब्ल्यूडीएफसी) जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल (जेएनपीटी) से दादरी (1506 किलोमीटर) तक का है।
रेलवे स्टेशनों पर 50 जन औषधि केन्द्र
प्रधानमंत्री रेलवे स्टेशनों पर 50 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (पीएमबीजेके) राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इन जन औषधि केंद्र लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध होंगी। पीएमबीजेके एक नीति ढांचे की संकल्पना है, जो लाइसेंसधारियों द्वारा संचालित होते हैं। इससे सभी को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं और जनऔषधि उत्पाद उपलब्ध कराने के भारत सरकार के मिशन को बढ़ावा देना है।
'एक स्टेशन एक उत्पाद' आउटलेट
रेल मंत्रालय ने भारत सरकार के 'वोकल फॉर लोकल' दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्वदेशी उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध करवाएगी। हाशिए पर रहने वाले समाज के वर्गों के लिए अतिरिक्त आय के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से "वन स्टेशन वन प्रोडक्ट" (ओएसओपी) योजना शुरू की गई है। इस योजना का उद्देश्य देश भर के रेलवे स्टेशनों पर बिक्री आउटलेट के प्रावधान के माध्यम से स्थानीय कारीगरों, कुम्हारों, बुनकरों, हथकरघा बुनकरों, शिल्पकारों आदि को आजीविका के बेहतर अवसर प्रदान करना है।
ईडीएफसी का निर्माण पूरा हो चुका है और डब्ल्यूडीएफसी का काम भी तेज गति से पूरा हो रहा है और पूर्ण किए गए खंडों पर ट्रेन परिचालन जारी है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण से उच्च एक्सल लोड ट्रेनों, डबल स्टैक कंटेनर ट्रेनों (डीएससी) के साथ लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी। इसके अलावा बड़ी संख्या में स्टेशनों पर नए गुड्स-शेड सुविधाओं की स्थापना और मौजूदा गुड्स-शेड को विकसित करने की अनुमति देकर टर्मिनल क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य है। 2014-15 के बाद से, भारतीय रेलवे ने ब्रॉड गेज (बीजी) नेटवर्क पर लगभग 40,000 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण पूरा कर लिया है।
वर्तमान में बीजी नेटवर्क पर 61,813 रूट किमी का विद्युतीकरण किया गया है, जो भारतीय रेलवे के कुल ब्रॉड गेज नेटवर्क का लगभग 94 प्रतिशत है। शेष बीजी नेटवर्क का विद्युतीकरण शुरू कर दिया गया है। 2014-23 के दौरान विद्युतीकरण पर 43,346 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके अलावा, 2023-24 के दौरान विद्युतीकरण के लिए 8,070 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। 2014 के बाद से रेलवे विद्युतीकरण परियोजनाओं पर खर्च की जाने वाली राशि 5 गुना अर्थात 375 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है।