ग्वालियर. शहर में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत लाखों रुपए खर्च कर तैयार किया गया एमएलबी कॉलेज का खेल मैदान आज बदहाल स्थिति में है। मैदान का निर्माण कार्य करीब तीन साल पहले पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक इसे कॉलेज प्रबंधन को हैंडओवर नहीं किया गया। नतीजतन न तो मैदान का रखरखाव हो पा रहा है, न ही खिलाड़ी इसका सही उपयोग कर पा रहे हैं।
तीन साल पहले बना मैदान अब बदहाल, टूटी ट्रैक और बुझी लाइटों से खिलाड़ियों का अभ्यास प्रभावित
ग्वालियर. शहर में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत लाखों रुपए खर्च कर तैयार किया गया एमएलबी कॉलेज का खेल मैदान आज बदहाल स्थिति में है। मैदान का निर्माण कार्य करीब तीन साल पहले पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक इसे कॉलेज प्रबंधन को हैंडओवर नहीं किया गया। नतीजतन न तो मैदान का रखरखाव हो पा रहा है, न ही खिलाड़ी इसका सही उपयोग कर पा रहे हैं।
रनिंग ट्रैक जगह-जगह से टूटा
डस्टबिन टूटे पड़े हैं, शौचालयों की हालत बदतर है
महिला बाथरूम में ताला लगा है, जबकि पुरुष बाथरूम में गंदगी फैली हुई है। स्मार्ट सिटी ने मैदान में लाइटें तो लगाईं, लेकिन बिजली कनेक्शन तक नहीं लिया। वर्तमान में कॉलेज से ही बिजली चलाई जा रही है, परंतु आधी लाइटें बंद पड़ी हैं।
स्मार्ट सिटी ने मैदान का कार्य बिना किसी तकनीकी परीक्षण के पूरा किया और हैंडओवर से पहले कमियों को दूर करने के लिए कहा गया था, लेकिन उसके बाद कोई पत्राचार नहीं हुआ।
डा. उमाशंकर त्रिपाठी, खेल अधिकारी, एमएलबी कॉलेज
अन्य मैदानों की स्थिति भी खराब
छत्री बाजार मैदान की देखरेख न होने से वहां घास नष्ट हो रही है और रात में शराबखोरी की घटनाएं बढ़ी हैं। वहीं मेडिकल कॉलेज मैदान में आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई है और निजी अकादमियों का कब्जा बना हुआ है।
मेडिकल कॉलेज: आम लोगों को एंट्री नहीं
मेडिकल कॉलेज में मैदान को भी स्मार्ट सिटी ने तैयार किया है, यहां एथलेटिक्स ट्रैक और बास्केबॉल मैदान बनाए गए हैं, लेकिन इस पर निजी एकेडमी का कब्जा है और आम लोगों को यहां नहीं खेल सकते हैं।
एक्सपर्ट : ग्वालियर जिला फुटबॉल संघ के सचिव शिववीर सिंह भदौरिया
स्मार्ट सिटी ने स्टेडियम तो बना दिए, लेकिन संचालन और मेंटेनेंस की कोई योजना नहीं बनाई। एमएलबी का फुटबॉल मैदान नियमानुसार नहीं बना है, पानी की व्यवस्था नहीं है और साधारण घास बिछा दी गई है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को देखना चाहिए कि एमओयू के अनुसार मैदान बने हैं या नहीं। इतना पैसा खर्च करने के बाद मैदान उपयोग ही नहीं हो पा रहे हैं।